भीषण गर्मी में लोग अपनी जान बचाने के लिए हैं परेशान लेकिन Gaya का यह व्यक्ति पक्षियों के लिए…

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गया: पूरा देश समेत बिहार भीषण गर्मी की चपेट में है और गर्मी की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। लोगो तरह तरह की व्यवस्थाएं कर अपनी जान बचा रहे हैं। वहीं इस भीषण गर्मी में सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जानवरों और पक्षियों को। इंसान तो किसी न किसी तरह खाने पीने की व्यवस्था कर ही लेता है लेकिन इस भीषण गर्मी में पक्षियों के लिए यह बहुत ही अधिक कष्टदायक है। ऐसे में गया का एक युवक ऐसा काम कर रहा है जो मिशाल तो बन ही रहा है पक्षियों के लिए एक समर्पण का भाव भी दिखा रहा है।

बिहार के गया का युवक रंजन कुमार पंंछियों के प्रति काफी समर्पित है। उसका लक्ष्य पंछियों को संरक्षित करना है। इस भीषण गर्मी की बात करें, तो मनुष्य किसी तरह पानी का जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन पंछियों के लिए यह काम गया का रंजन करता है। गया का रंजन न सिर्फ पहाड़ों बल्कि मोहल्ले में भी पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करता है।

जल स्रोत गर्मी के दिनों में ज्यादातर स्थान पर पशु पक्षियों के लिए खत्म हो जाते हैं, तो इसके बीच यह पंछियों के लिए पानी का जुगाड़ करता है। इतना ही नहीं खुद ही सैकड़ो फीट उंचे पहाड़ पर जाकर पंछियों के लिए पानी के साथ-साथ दाना की भी व्यवस्था करता है।

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पंछियों के पानी की व्यवस्था के लिए प्रतिदिन सैकड़ो फीट ऊंची रामशिला पहाड़ पर चढ़ता है
गया के बागेश्वरी गुप्ता गली का रहने वाला रंजन कुमार पंछियों के लिए काफी समर्पित है। गर्मी के दिनों में जल की महत्ता समझी जा सकती है। इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है और गया में काफी स्थानों पर प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं। वही आम स्थान पर भी पानी की किल्लत है।

हालांकि, पानी की किल्लत के बीच मनुष्य किसी प्रकार अपना जुगाड़ कर लेते हैं, लेकिन गया का रंजन कुमार पंछियों के लिए पानी के जुगाड़ में रोज लगा रहता है। रंजन सैकड़ों फीट ऊंची रामशिला पहाड़ी पर भी चढ़ता है और यहां पंछियों के लिए पानी और दाना की व्यवस्था करता है।

पिछले 8 सालों से खुला पिंजरा लगा रहा
पिछले 8 सालों से यह युवक लगातार ऐसा कर रहा है। 2016 से इसकी शुरुआत इसने की थी। एक बार यूट्यूब पर देखा था, कि किस तरह पानी की कमी से पक्षियों की मुश्किलें बढ़ जाती है। इसके बाद उसने पंछियों के लिए कुछ करने की ठानी और वर्ष 2016 से इसकी शुरुआत की। तब उसने छोटे-छोटे घड़े में घरों के उपर में पानी रखना शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे खुला पिंजरा बनाना शुरू कर दिया। अब वह खुद खुला पिंजरा खुद बनाता है।

खुला पिंजरा बनाकर रामशिला पहाड़ के एरिया में पेड़ों पर टांगता है। वही रामशिला पहाड़ के अलावे कई मोहल्ले में भी इस तरह का काम वह कर रहा है। इतना ही नहीं, वह सकोरा भी बनाता है। सीमेंट का सकोरा रामशिला की पहाड़ियों पर इसके द्वारा बनाया गया है। इस तरह खुला पिंंजङा और सकोरा लगाकर रंजन पंछियों को पानी और दाना देता है।

पंछियां आती है, दाना चुुगती है और प्यास बुझा कर चली जाती है
रंजन का यह प्रयास सफल हो रहा है। खुले पिंजरे और सकोरा के पास आकर पंक्षी बैठते है, दाना चुगते हैं, दाना चुगने के बाद अपनी प्यास बुझा कर चले जाते हैं। रामशिला पहाड़ पर रंजन के द्वारा दर्जनों स्थानों पर खुला पिंजरा लगाया गया है। वहीं, दर्जनों स्थानों पर सकोरा भी बनाया गया है, जो कि सीमेंट का बना (बर्तन) है।

खुला पिंजरा और सकोरा देखकर पंछी आते हैं और उसमें रखें पानी और दाना का उपयोग कर उड़ जाते हैं। इस तरह रंजन का यह प्रयास पंछियों के लिए अहम साबित हो रहा है और पंछियों की प्यास आसानी से खुले पिंजरे और सकोरा में रखे पानी से बुझ रही है।

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इस तरह का प्रयास न हो तो पंछियों को काफी मुश्किलें
वही, यदि इस तरह का प्रयास नहीं किया जाए, तो पंछियों को काफी मुश्किल होती है। उनके लिए पानी की तलाश कर पाना मुश्किल भरा होता है। खास बात यह है, कि रंजन के द्वारा रामशिला पहाड़ और कई मोहल्ले में खुला पिछला सकोरा लगाए जाने से पंछियों पानी पीती ही है, बल्कि छोटे-छोटे पशु गिलहरी आदि भी भोजन कर अपनी प्यास बुझाते हैं।

इस तरह पंछियों को संरक्षित करने का यह बड़ा प्रयास रंजन के द्वारा शुरू किया गया है। इस प्रयास में लोग भी अब साथ देने लगे हैं। अब कई मोहल्ले के लोगों ने अपने घरों की छतों पर पानी रखना शुरू कर दिया है, ताकि पक्षी प्यासे न रह सकें।

मवेशियों को वैक्सीन देना ही एकमात्र आमदनी का जरिया
रंजन कुमार खुद आथिर्क रूप से कमजोर है, लेकिन इसके बावजूद वह पंछियों के लिए इतना कुछ करते हैं। रोज पहाड़ पर खुुद पानी लेकर चढ़ते हैं। वहीं, रोज कई मोहल्ले में जाते हैं और पछियों के लिए दाना पानी का जुगाड़ करते हैं। वर्ष 2016 से लगातार वह गर्मी के मौसम में ऐसा करते हैं। आम लोगों के जुड़ने से रंजन को यह एहसास होता है, कि कहीं न कहीं उसकी पहल अब रंग ला रही है। उसके पछी संरक्षण का सपना साकार होता नजर रहा है।

रामशिला पहाड़ पर रहते हैं हजारों पक्षी, गर्मी में सारे जल स्रोत सूख जाते हैं
रामशिला पहाड़ पर हजारों पक्षी बसेरा करते हैं, लेकिन गर्मी के दिनों में यहां सारे जल स्रोत सुख जाते हैं, जिससे पछियों और छोटे-छोटे मवेशियों के लिए पानी मिला दुर्लभ हो जाता है। किंतु रंजन जैसे युवक के इस पहल से न सिर्फ पछियों को दाना पानी की समस्या से निजात मिल रहा है, बल्कि पंछियों का संरक्षण भी हो रहा है।

पछियों का शिकार करने वालों पर भी रंजन निगाह रखता है। यही वजह है, कि रामशिला पहाड़ पर पक्षियों का शिकार करने वाले नहीं आते हैं। फिलहाल रंजन के द्वारा इस वर्ष भी गर्मी के मौसम में दर्जनों स्थानों पर खुला पिंजरा टांगा गया है, सकोरा बनाया गया है।

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पर्यावरण संतुलन के लिए पंछियों का होना जरूरी
वही, इस संबंध में रंजन कुमार बताते हैं कि पर्यावरण संतुलन के लिए पंछियों का होना चाहिए। आज हमारे बीच कई पक्षी नहीं है। पहले जो पछी घर के आंगन में रहते थे, वह दूर हो चुके हैं। ऐसे में हम पंछियों के संरक्षण के लिए 2016 से कदम उठा रहे हैं। वहीं, गर्मी के दिनों में खुला पिंजरा पेड़ों पर टांगते हैं और सकोरा भी बनाते हैं।

सकोरा सीमेंट का बना होता है, जिसमें पानी भरा जाता है। इस तरह वह पिछले 8 सालों से पंछियों के लिए पानी के अलावे दाना की भी व्यवस्था कर रहे हैं। इससे उसे काफी आंतरिक खुशी होती है और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में उसका प्रयास कहीं न कहीं कुछ हद तक सफल हो रहा है।

गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट 

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