रांची: 18 सितंबर से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है, जो सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस 16 दिवसीय कालखंड में हम अपने उन पूर्वजों की आत्मा की शांति और सद्गति के लिए जप, तप और दान जैसे पवित्र कर्म करते हैं, जो अब हमारे बीच नहीं हैं। इस वर्ष का पितृ पक्ष अत्यंत रहस्यमयी और घटनापूर्ण है, क्योंकि इसकी शुरुआत पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण से हो रही है और इसका समापन अमावस्या पर सूर्य ग्रहण के साथ होगा।
हालांकि, ये दोनों ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं होंगे, लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इनका प्रभाव संपूर्ण विश्व और मानव जीवन पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इन ग्रहणों का दुष्प्रभाव प्रकृति के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। भारत में ‘आस्तीन के सांपों’ की वृद्धि और कई षड्यंत्रों का उजागर होना संभावित है, जिससे देश को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
इन 15 दिनों के दौरान पितरों की शांति और प्रसन्नता के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ या गायत्री महामंत्र का जप करना शुभ माना गया है। सनातनी जन अपने पूर्वजों की सद्गति के लिए प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें, ताकि जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे।