रांची: मुर्शिदाबाद में वक्फ बोर्ड बिल को लेकर भड़की हिंसा के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव, झारखंड की पूर्व विधायक और बंगाल की सह प्रभारी अंबा प्रसाद ने एक बड़ा बयान दिया है। न्यूज़ बायस्कोप से विशेष बातचीत में उन्होंने न सिर्फ वफ बिल को लेकर राज्य और केंद्र सरकार दोनों पर तीखा हमला बोला, बल्कि देश में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता और संविधान के प्रति लापरवाह रवैये को भी खुलकर उठाया।
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हफिजुल हसन के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया
झारखंड के मंत्री हफिजुल हसन के इस बयान कि “शरीयत दिल में है, संविधान हाथ में” पर प्रतिक्रिया देते हुए अंबा प्रसाद ने कहा कि ऐसे बयान न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि समाज में नफरत को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि –
“मेरे लिए मेरा धर्म मेरे दिल में है, लेकिन मेरे दिमाग में संविधान है। जब प्रशासनिक फैसले लेने की बात आती है, तो हमारा मार्गदर्शन सिर्फ संविधान करता है, न कि कोई धार्मिक किताब।”
बंगाल में वक्फ बोर्ड बिल पर भड़की हिंसा – “केवल वहीं क्यों?”
अंबा प्रसाद ने सवाल उठाया कि देश के कई राज्यों में मुस्लिम आबादी 25% से अधिक है – जैसे झारखंड, बिहार, यूपी, तेलंगाना, केरल – पर हिंसा की खबरें केवल बंगाल से क्यों आ रही हैं?
उन्होंने कहा कि “बंगाल का 450 किमी लंबा बांग्लादेश सीमा खुला पड़ा है। यहां घुसपैठियों को वोटर आईडी बनाकर चुनाव लड़वाया जा रहा है। कई रोहिंग्या और कट्टरपंथी संगठन यहां पनाह ले रहे हैं। यह क्षेत्र अब सेफ ज़ोन बन चुका है। इससे न सिर्फ मुस्लिम-हिंदू समुदाय, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा भी खतरे में है।”
टीएमसी और बीजेपी – ‘मौसेरे भाई’
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए अंबा ने कहा कि टीएमसी और बीजेपी दोनों ही एक-दूसरे को फायदा पहुंचा रहे हैं।
“जब दंगा हुआ, तब पुलिस नहीं पहुंची, बीएसएफ को बुलाया गया। एक तरफ बीजेपी बीएसएफ के जरिए दंगे करवाने का आरोप झेल रही है, दूसरी तरफ वही BSF स्थिति संभाल रही है। ये कैसी राजनीति है?”
वक्फ बोर्ड बिल पर कांग्रेस का स्टैंड – “संविधान से छेड़छाड़ नहीं”
वक्फ बोर्ड बिल को लेकर कांग्रेस पूरी तरह विरोध में है। अंबा प्रसाद ने कहा “यह संविधान के अनुच्छेद 26 के खिलाफ है, जो हर धर्म को अपने संस्थानों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है। अगर किसी धार्मिक संपत्ति का कागज नहीं है तो आप 300 साल पुराना इतिहास निकालने लगते हैं – ये न्याय नहीं, प्रताड़ना है।”
उन्होंने ये भी कहा कि वफ बिल का फायदा न हिंदू को है, न मुस्लिम को – सिर्फ सरकार को फायदा है, जो इसे अपने एजेंडे के मुताबिक इस्तेमाल कर रही है।
“धर्म के नाम पर अधर्म – और राजनीति के नाम पर पाखंड”
अंबा प्रसाद ने कहा कि आज देश में धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का जो ट्रेंड शुरू हुआ है, वह न सिर्फ लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि मानवता के लिए भी शर्मनाक है। “हम धर्म के प्रचारक अपने संस्कार से बनें, शक्ति प्रदर्शन या दूसरों को दबाकर नहीं। आज लोग इंसानियत की वजह से नहीं, नफरत की वजह से एकजुट हो रहे हैं – ये देश के लिए खतरनाक संकेत है।”
राष्ट्रपति शासन की मांग पर दो टूक
बंगाल में राष्ट्रपति शासन की संभावनाओं पर उन्होंने कहा कि “जब केंद्र की मंशा ही सही नहीं है, तो राष्ट्रपति शासन से क्या फर्क पड़ेगा? संविधान के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है। देश को संविधान से चलाना होगा, किसी एजेंडा से नहीं।”
अंत में “संविधान ही धर्म है”
बातचीत के अंत में अंबा प्रसाद ने सख्त संदेश दिया कि –“देश का कोई भी नागरिक हो – हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई – अगर उसके साथ गलत होगा तो हम खड़े रहेंगे। संविधान के साथ किसी भी छेड़छाड़ को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
करिश्मा सिन्हा की रिपोर्ट