प्रयागराज : महाकुंभ में भगदड़ हादसे में मरने वाले 24 अज्ञात श्रद्धालुओं के पोस्टर हुए चस्पा। महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर पुण्य स्नान के समय बीते मंगलवार और बुधवार के मध्य की रात हुए हादसे को लेकर चकित करने वाली नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं।
Highlights
नया चौंकाने वाला मामला यह है कि इस हादसे में जान गंवाने वाले 24 अज्ञात श्रद्धालुओं के पोस्टर जारी हुए हैं। इन्हें प्रयागराज के पोस्टमार्टम हाउस पर लगाया गया है। इसके बाद इस आशंका को बल मिला है कि हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या शासन-प्रशासन के दावों से कहीं ज्यादा रही।
वजह यह कि बीते गुरूवार को शासन स्तर पर हादसे में मरने वाले 30 में 25 के शिनाख्त होने का दावा किया गया था। यानि तब 5 मृत श्रद्धालुओं की शिनाख्त नहीं हो पाई थी लेकिन अब जारी 24 अज्ञात मृतक श्रद्धालुओं के पोस्टर कुछ और ही हकीकत को बयां कर रहे हैं।
महाकुंभ मेला प्रशासन कुछ छिपा तो नहीं रहा…?
महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर पुण्य स्नान के समय बीते मंगलवार और बुधवार के मध्य की रात हुए हादसे को लेकर अब जो हालात बने हैं, उसने कई सवाल शासन – प्रशासन के पहले के दावों पर खड़े कर दिए हैं। मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस भगदड़ के बाद सामने आईं तस्वीरों ने अंदर तक झकझोर दिया था।
अब तक इस हादसे में मारे जाने वालों की संख्या को लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रयागराज के पोस्टमार्टम हाउस (पीएम हाउस) में अब 24 अज्ञात मृतकों के चेहरे के पोस्टर चस्पा किए गए हैं जबकि पहले शासन – प्रशासन की ओर से हादसे में 30 के मरने और उसमें भी 5 की शिनाख्त न होने की बात कही गई थी।
पीएम हाउस के बाहर लगे पोस्टरों से कई तरह के सवाल स्वाभाविक तौर पर खड़े होने लगे हैं। साथ ही भगदड़ को लेकर भी नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इनको जानने के बाद लग रहा है कि कहीं महाकुंभ मेला प्रशासन कुछ छिपा तो नहीं रहा है ? आखिर प्रशासन मरने वाले लोगों की संख्या को तो नहीं छिपा रहा ?

मरने वाले अज्ञात श्रद्धालुओं के पोस्टर में अपनों को तलाश रहे हैं परिजन…
प्रयागराज पीएम हाउस के बाहर लगाए अज्ञात मृतकों के चेहरे के पोस्टर लगने के बाद से भगदड़ में मौनी अमावस्या को अपनों को खो चुके परिवारीजन यहां पहुंच रहे हैं लेकिन पोस्टर में लगे हर चेहरे को बारीकी से निहारने के बाद निराश – हताश हो जा रहे हैं क्योंकि इसमें से कोई उनका अपना नहीं है।
ऐसे में फिर से वही सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या भगदड़ हादसे में मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बताई गई संख्या कहीं ज्यादा थी ? प्रशासन को हादसे में जान गंवाने वालों श्रद्धालुओं की अद्यतन सही जानकारी नहीं है ? स्थानीय मेला प्रशासन शासन का कोपभाजन बनने से बचने के लिए हादसे की असल कहानी और तथ्य से भटका तो नहीं रहा ?
बता दें कि इन पोस्टरों के जरिए प्रशासन मृतकों की पहचान में लगा हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग अपने परिवार के लोगों की तलाश में लगे हुए हैं। इन पोस्टरों के लगाए जाने के बाद से ही लोग अपनों की तलाश में पीएम हाउस पहुंच रहे हैं। फिलहाल पोस्टर के किसी भी मृतक की पहचान नहीं हो सकी है।

महाकुंभ में भगदड़ हादसे की जमीनी हकीकत जानने पहुंचे थे मुख्य सचिव और डीजीपी
महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या पर स्नान के दौरान मची भगदड़ में 30 की मौत और कइयों के घायल होने के पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए बीते गुरूवार को CM Yogi आदित्यनाथ के निर्देश पर दो सदस्यीय उच्चाधिकारिक टीम मौके पर पहुंची। संगम नोज पर हुई भगदड़ की जांच करने के लिए मुख्य सचिव मनोज कुमार और डीजीपी प्रशांत कुमार घटनास्थल पर पहुंचे थे। उनके साथ बड़ी संख्या में अधिकारी मौजूद रहे।

दोनों अधिकारियों ने संगम तट पर पहुंचकर भगदड़ वाले स्थान का जायजा लिया। इस क्रम में वहां बने टॉवर पर चढ़कर मुआयना किया और पुलिस अधिकारियों से घटना की जानकारी ली। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल का दौरा किया, जहां भगदड़ की घटना में घायल हुए लोग भर्ती हैं।
बता दें कि मौनी अमावस्या पर अनियंत्रित भीड़ के दबाव से बैरिकेडिंग टूट जाने के बाद संगम नोज पर रात्रि एक से दो बजे के बीच भगदड़ मच गई थी। शासन- प्रशासन ने बताया था कि उसमें दम घुटने से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और जबकि 60 लोग घायल हो गए।

मौनी अमावस्या पर हुए भगदड़ हादसे को लेकर जहां शासन और प्रशासन स्तर पर तमाम व्यवस्थाएं की जा रही हैं तो दूसरी ओर इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है । जनहित याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे।
महाकुंभ जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने के साथ नीति और नियमन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। एक वकील ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रभावित न हो, उनके लिए कोई खतरा पैदा न हो और महाकुंभ में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास के लिए अधिकतम स्थान उपलब्ध कराया जाए।