रांची: झारखंड में बिजली चोरी एक ऐसी समस्या बन गई है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। “चोरी और सीनाज़ोरी करना” इस राज्य के बिजली चोरों की नई पहचान बन चुकी है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी में ही पूरे झारखंड में 2572 लोगों ने कुल 4.37 करोड़ रुपये की बिजली चोरी कर डाली। इनमें सबसे ज्यादा 313 मामले हजारीबाग जिले में दर्ज किए गए, जबकि रांची इस मामले में 285 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
जेबीवीएनएल के अनुसार, रांची में हर महीने करीब 45 लाख रुपये की बिजली चोरी होती है, और पूरे राज्य में सालाना 50 करोड़ से ज्यादा की बिजली चोरी का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि, बिजली चोरी पकड़ने के लिए जनवरी महीने में 13,295 घरों पर छापेमारी की गई, और 2572 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात।
बिजली चोरी रोकने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने जनवरी में कुल 117 टीमें गठित कीं, जो अलग-अलग इलाकों में छापेमारी कर रही हैं। लेकिन “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे” की तर्ज पर बिजली चोर पकड़े जाने के बाद भी नए-नए बहाने गढ़ते हैं और चोरी को अंजाम देते रहते हैं। स्थिति यह है कि प्रशासन की सख्ती के बावजूद बिजली चोरी पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
इस पूरे मामले में “चोर-चोर मौसेरे भाई” वाली कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है। जो लोग बिजली चोरी में लिप्त हैं, वे एक-दूसरे को बचाने में लगे रहते हैं। इतना ही नहीं, कई इलाकों में बिजली चोरी के मामले में कुछ प्रभावशाली लोगों की भूमिका भी सामने आती रही है। ऐसे में जब खुद “आस्तीन के साँप की चोरी” हो, तो आम जनता बिजली चोरी के खिलाफ शिकायत करने से भी कतराती है।
जेबीवीएनएल ने जनता से अपील की है कि वे बिजली चोरी की जानकारी दें, और सूचना देने वालों का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब चोरी का नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है, तो क्या केवल छापेमारी और एफआईआर से यह समस्या हल हो पाएगी?
असल में, बिजली चोरी सिर्फ आर्थिक नुकसान ही नहीं पहुंचा रही, बल्कि राज्य की ईमानदार जनता पर भी भारी पड़ रही है। जिन उपभोक्ताओं के घरों में मीटर लगे हैं और जो समय पर बिजली का बिल भरते हैं, उन्हें ही बार-बार बढ़े हुए टैरिफ का बोझ उठाना पड़ता है। यानी “चोरी का माल मरी हुई बिल्ली के बराबर”—जिन लोगों को मुफ्त बिजली मिल रही है, वे इसका आनंद उठा रहे हैं, और ईमानदार उपभोक्ता हर महीने जेबीवीएनएल को भारी-भरकम बिल चुकाने पर मजबूर हैं।
झारखंड में बिजली चोरी रोकने के लिए प्रशासन को सिर्फ छापेमारी तक सीमित न रहकर, इसे जड़ से खत्म करने के उपाय करने होंगे। इसके लिए आधुनिक तकनीकों जैसे स्मार्ट मीटर और डिजिटल निगरानी को सख्ती से लागू करना होगा। साथ ही, बिजली चोरी को सामाजिक अपराध मानते हुए जनता को भी इसके खिलाफ जागरूक करना होगा।
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो “चोरी पकड़ी गई तो बहाने बनाना” का खेल यूं ही चलता रहेगा, और बिजली चोरी की यह काली कमाई कुछ लोगों की जेब भरती रहेगी, जबकि राज्य का आम नागरिक इसका खामियाजा भुगतता रहेगा।