रांची: झारखंड सरकार के 11 प्रमुख विभागों की टेंडरिंग प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) झारखंड द्वारा वर्ष 2019 से 2024 तक के टेंडर दस्तावेजों का ऑडिट करने के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि विभागीय उपयोगकर्ताओं और ठेकेदारों, दोनों द्वारा एक ही आईपी एड्रेस का उपयोग कर हजारों बोलियां लगाई गईं।
महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर पोर्टल पर 207,405 बोलियां लगाई गईं, जिनमें से कई में वही 4693 आईपी एड्रेस इस्तेमाल हुए जो विभागीय अधिकारियों द्वारा दस्तावेज अपलोड करने में उपयोग किए गए थे। यह संकेत देता है कि कई बार एक ही कंप्यूटर से निविदाएं अपलोड और जमा की गईं — जो संभावित मिलीभगत और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
महालेखाकार ने इस मामले की जानकारी जैप आईटी के निदेशक को देते हुए विभागों से जवाब मांगा है। इसके बाद जैप आईटी के सीईओ ने संबंधित सभी 11 विभागों को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
जिन विभागों का ऑडिट किया गया:
सड़क निर्माण विभाग
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
पंचायती राज विभाग
ग्रामीण विकास विभाग
ग्रामीण कार्य विभाग
जल संसाधन विभाग
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग
महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग
महालेखाकार की टिप्पणी में यह भी कहा गया है कि यदि ठेकेदारों द्वारा की गई बोलियां खरीद इकाई यानी विभाग के आईपी एड्रेस से लगाई गई हैं, तो यह विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का सीधा संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में निष्पक्ष टेंडर प्रक्रिया की संभावना बेहद कम रह जाती है, जो सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग का संकेत देती है।
इस पूरे मामले ने राज्य सरकार की निविदा प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर दिया है। अब निगाहें इस पर हैं कि क्या जैप आईटी और संबंधित विभाग जांच के बाद किसी कार्रवाई की अनुशंसा करते हैं या नहीं।