Saturday, August 2, 2025

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राणा सांगा-औरंगजेब विवाद के बीच भाजपा के प्रो. श्याम बिहारी लाल बने यूपी इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष

लखनऊ / बरेली : राणा सांगा-औरंगजेब विवाद के बीच भाजपा के प्रो. श्याम बिहारी लाल बने यूपी इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष। राणा सांगा और औरंगजेब को लेकर छिड़े विवादों एवं सियासी घमासान के बीच भाजपा के विधायक प्रो. (डॉ.) श्याम बिहारी लाल को यूपी इतिहास कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित कर दिया गया है।

यूपी के बरेली स्थित रुहेलखंड विश्वविद्यालय में संपन्न हुए यूपी इतिहास कांग्रेस के 33 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन सत्र में इसकी घोषणा की गई। ऐसे वक्त में यह घोषणा हुई है जब देश में औरंगजेब और सालार गाजी जैसे ऐतिहासिक पात्रों के साथ ही राणा सांगा को लेकर वर्तमान राजनीति गरमाई हुई है।

ऐसे समय में यूपी इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भाजपा के विधायक चुना जाना काफी अहम माना जा रहा है। प्रो. श्याम बिहारी लाल बरेली के फरीदपुर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं एवं रुहेलखंड विश्वविद्यालय में इतिहास के विभागाध्यक्ष भी हैं।

विवादों से परे रहे हैं प्रो. श्याम बिहारी लाल

सियासी पारी भाजपा की ओर से दमदार तरीके खेलने के साथ समान दक्षता और समर्पण से अपने अध्यापन में जुटे रहने वाले प्रो. श्याम बिहारी लाल को लेकर भाजपा में भी सबकी राय यही रहती है कि वे विवादों से परे रहते हैं।

प्रो. श्याम बिहारी लाल अपने काम से काम में मशगूल रहने वालों में जाने जाते है। सियासत से लेकर अध्यापन और निजी रिश्तों में भी प्रो. श्याम बिहारी लाल की लोग इसी लिहाज से काफी तारीफ भी करते हैं।

बरेली से भाजपा के प्रमुख प्रबुद्ध वर्ग का चेहरा माने जाने वाले प्रो. श्याम बिहारी लाल सुर्खियों से परे रहते हुए अपने काम में तल्लीन रहने के लिए अलग पहचान रखते हैं। प्रो. श्याम बिहारी लाल बरेली की फरीदपुर सीट से भाजपा के विधायक भी हैं।

इसी सीट से वह भाजपा की ओर से वर्ष 2012 में उतरे थे लेकिन पहली बार वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। बीते वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रो. श्याम बिहारी लाल इसी फरीदपुर सीट भाजपा के लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए।

भाजपा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल।
भाजपा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल।

प्रो. एसबी लाल : यह अवस मिलना गरिमापूर्ण…

ऐसे समय में जब एक चौथाई 21 वीं सदी बीत चलने के दौर में देश और यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा इतिहास के पन्नों से शासक औरंगजेब को लाकर खड़ा कर रही है और सालार महमूद गाजी के मेले को रद्द कर रही है तो दूसरी ओर सपा के सांसद राज्यसभा में राणा सांगा को गद्दार तक बता रहे हैं, वैसे समय में यूपी इतिहास कांग्रेस के निर्वाचन पर सभी की निगाहें टिकी थीं।

खास तौर पर ऐसे समय में जब इतिहास से नायक और खलनायकों को चुनने की नई सियासी देश में चल रही है, वैसे समय में एक सत्ताधारी दल से जुड़े इतिहासकार और प्रोफेसर का यूपी इतिहास कांग्रेस का अध्यक्ष बनना बरबस ही सबका ध्यान आकृष्ट करने वाला रहा।

इसे लेकर सभी अपनी-अपनी बात भी रख रहे हैं। इस बीच खुद प्रो. श्याम बिहारी लाल ने इस नई जिम्मेदारी पर मीडिया से मुखातिब होने पर कहा कि –‘…यह गरिमापूर्ण जिम्मेदारी निभाने लायक समझने के लिए सभी का हृदयांतर से आभार।

…जिस जिम्मेदारी को प्रो. इरफान हबीब, प्रो. यूपी अरोरा, प्रो. ओम प्रकाश व प्रो. एके सिन्हा जैसी हस्तियों ने संभाला, उस जिम्मेदारी को निभाने का ऐसा अवसर मिलना गरिमापूर्ण है।’

यूपी इतिहास कांग्रेस में प्रो. श्याम बिहारी लाल
यूपी इतिहास कांग्रेस में प्रो. श्याम बिहारी लाल

प्रो. श्याम बिहारी लाल : सभी इतिहास विसंगतियों से भरे पड़े हैं…

इसी कड़ी में यूपी के 34 वीं इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष बने प्रो. श्याम बिहारी लाल ने आगे कहा कि – ‘…निजी तौर पर एक इतिहासकार के रूप में मैं पूर्व की भांति निष्पक्ष हूं। …लेकिन मेरा स्पष्ट मानना है कि चाहें प्राचीन हो या मध्यकाल या आधुनिक इतिहास – सभी इतिहास विसंगतियों से भरे पड़े हैं।

…मेरा प्रयास होगा कि इतिहास लेखन में छूटी व टूटी कड़ियों को जोड़ा जाये। …मैं चाहता हूं कि स्थानीय इतिहासकारों को मौका मिले। मैं जल्द ही होने वाले अधिवेशन में विधिवत अपनी बात रखूंगा।’

भाजपा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल
भाजपा विधायक प्रो. श्याम बिहारी लाल

इस मौके पर आयोचन सचिव प्रो. विजय बहादुर यादव, प्रो. डीके चौबे, प्रो. रेनु शुक्ला, प्रो. अपर्णा माथुर, प्रो. एमपी अहिरवार, डा. सरला, डा. अपर्णा श्रीवास्तव, डा. रिफाक अहमद, डा. जैदी आदि मौजूद रहे।

सर्व सम्मति से बैठक में उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस के कार्यकारिणी को चुना गया। इसमें रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो. अतुल कुमार सिन्हा व दिल्ली विवि के प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे को उपाध्यक्ष, रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्रो. विजय बहादुर सिंह यादव को सचिव व काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो. एपी अहिरवार, डॉ. रामविलास भारती को संयुक्त सचिव व रुहेलखंड विश्वविद्यालय के डॉ. अनूप रंजन मिश्रा को कोषाध्यक्ष बनाया गया।

वहीं कार्यकारिणी सदस्य में फरीदाबाद के प्रो. यूपी अरोरा, प्रयागराज के प्रो. एनआर फारुकी, गोरखपुर के प्रो. एसएनआर रिजवी, प्रयागराज के प्रो. ओम प्रकाश श्रीवास्तव, देहरादून के प्रो. रेनू शुक्ला, प्रयागराज के प्रो. हर्ष कुमार, कानपुर के प्रो. शालिनी मिश्रा, प्रयागराज के डॉ. रिफाक अहमद, बरेली की डॉ. प्रिया सक्सेना, वाराणसी के प्रो.विश्वनाथ वर्मा व गोरखपुर के प्रो. दिग्विजय नाथ को चुना गया है।

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