डिजिटल डेस्क : महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं की भर्ती को पर्ची कटना शुरू। तीर्थराज कहे जाने वाले प्रयाराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में सबसे अहम आकर्षण बने नागा साधुओं को लेकर नई जानकारी सामने आई है। महाकुंभ 2025 में पधारे 13 अखाड़ों में नागा साधुओं की भर्ती की प्रक्रिया शुूरू कर दी गई है। इसके लिए सबसे पहले पर्ची कटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
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इसके तहत इच्छुक व्यक्ति नागा साधु बनने के लिए संबंधित अखाड़े में जाकर अपने लिए पर्ची कटाएगा। मौनी अमावस्या से पहले-पहले सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। जूना अखाड़े में आज से ही यह प्रक्रिया शुरू हो गई है।
महाकुंभ 2025 में होनी है 1800 नागा साधुओं की भर्ती
बताया जा रहा है कि महाकुंभ 2025 में पधारे सभी अखाड़ों में कुल 1800 से भी ज्यादा साधुओं को अखाड़ों में शामिल करके नागा बनाया जाना है। अखाड़ा पदाधिकारियों का कहना है कि नागा साधु बनाने से पहले आंतरिक कमेटी जांच पड़ताल भी करती है। इसके बाद ही नागा बनाया जाता है।

अखाड़ों के लिए कुंभ न सिर्फ अमृत स्नान का अवसर होता है बल्कि उनके विस्तार का भी मौका होता है। खासतौर से महाकुंभ में ही नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है। प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा अहम होती है। बताया जा रहा है कि संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे।

नागा साधु बनने के लिए पर्ची कटने पर 108 डुबकियों की परीक्षा और फिर तब मिलेगी दीक्षा…
सिर्फ पर्ची कटने मात्र से कोई भी नागा साधु बनने की योग्यता नहीं हासिल कर लेता। बताया जा रहा है कि पर्ची कटने पर अभ्यर्थी को कुछ कठिन परीक्षाओं में सफल होना होगा और उसके बाद ही नागा बनने लायक मानते हुए दीक्षा दी जाएगी। बताया जा रहा है कि मौनी अमावस्या से पूर्व सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे।
जूना अखाड़े में आज से यह प्रक्रिया आरंभ हो चली है। 48 घंटे बाद तंगतोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी। इसके तहत नागा साधुओं को इसके लिए 108 बार डुबकी लगाकर परीक्षा देनी होगी। गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन होगा।

प्रशिक्षुओं का 19 जनवरी को महाकुंभ में छूटेगा लंगोट, परीक्षा पास कर दीक्षा लेकर बनेंगे नागा साधु
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, क्षौर कर्म और विजय हवन के बाद महाकुंभ में संगम तट पर पांच गुरु प्रशिक्षुओं को अलग-अलग वस्तु देंगे। संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे। उसके बाद हवन होगा। फिर 19 जनवरी की सुबह लंगोट खोलकर वह नागा बना दिए जाएंगे।
हालांकि उनको वस्त्र के साथ अथवा दिगंबर रूप में रहने का विकल्प भी दिया जाएगा। वस्त्र के साथ रहने वाले अमृत स्नान के दौरान नागा होकर ही स्नान करेंगे। परीक्षा संस्कार पूरा होने के बाद सभी नवदीक्षित नागा मौनी अमावस्या पर अखाड़े के साथ अपना पहला अमृत स्नान करेंगे।