17.18 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन संबंधी मामला सुर्खियों में, मुख्य सचिव ने दिए जांच के आदेश

रांची: रामगढ़ अंचल के कुंदरखुर्द मौजा में 17.18 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन संबंधी मामला सुर्खियों में है। इस मामले में रामगढ़ की उपायुक्त माधवी मिश्रा की भूमिका पर सवाल उठा है। मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने इस मामले की जांच करने के लिए भू-राजस्व सचिव अमिताभ कौशल को पत्र लिखकर निर्देश दिया है।

भू राजस्व विभाग ने उत्तरी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त को भी इस मामले की जांच करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मौजा कुन्दरुखुर्द के थाना नंबर 120, खाता संख्या 77 में 35 प्लॉटों की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री को रोकने के लिए 7 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन अंचलाधिकारी ने जिला अवर निबंधक, रामगढ़ को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने यह दावा किया था कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुछ लोग जमीन हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।

इस मामले में राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से भूमि सम्बंधी दस्तावेजों में छेड़छाड़ की बात कही गई थी। इस पत्र की प्रतिलिपि रामगढ़ उपायुक्त, मुख्य सचिव और भू-राजस्व विभाग के सचिव को भी भेजी गई थी। लेकिन पांच दिन बाद कोरोना महामारी के कारण, 12 अक्टूबर 2020 को जमशेदपुर निवासी शरद पोद्दार और मोहित कुमार पोद्दार के नाम पर उक्त जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई। जमीन की रजिस्ट्री के बाद शरद पोद्दार और मोहित पोद्दार ने रामगढ़ में म्यूटेशन के लिए आवेदन (वाद संख्या 1173 आर 27/2020-21) दिया, जिसे सीओ ने खारिज कर दिया क्योंकि उनके अनुसार यह जमीन मठ की है। इस जमीन की जमाबंदी राधा-कृष्ण वगैरह के नाम से दर्ज है।

भूमि माफिया द्वारा राधा-कृष्ण मठ के नाम से रजिस्ट्री नंबर 2 के पृष्ठ को बदलकर बाढ़ो साई वगैरह के नाम से दर्ज किया गया है। इसके बाद भूमि सुधार उप-समाहर्ता (डीसीएलआर) के समक्ष म्यूटेशन के लिए अपील की गई, लेकिन वहां से भी आवेदन खारिज कर दिया गया। फिर खरीदारों ने रामगढ़ उपायुक्त के पास अपील की। डीसी रामगढ़ माधवी मिश्रा ने म्यूटेशन रिवीजन वाद का फैसला तीन सुनवाई में ही कर दिया था। अपने फैसले में उन्होंने लिखा है कि सीओ रामगढ़ ने बताया है कि जमीन की जमाबंदी पहले राधा-कृष्ण वगैरह के नाम से थी और लगान भी निर्गत है। पंजी नंबर 2 को देखने से प्रतीत होता है कि मूल पृष्ठ को बदलकर नया पृष्ठ जोड़ा गया है।

भूमि माफिया द्वारा राधा-कृष्ण मठ के नाम से रजिस्ट्री नंबर 2 के पृष्ठ को हटाकर बाढ़ो साई वगैरह का नाम से अंकित किया गया है। लेकिन सीओ ने यह नहीं बताया कि खतियान में जब जमीन पहले मुरली साहू वगैरह के नाम से थी, तो उसका हस्तांतरण मठ के नाम पर कैसे हुआ। भूमि सुधार उप-समाहर्ता ने भी इसकी जानकारी नहीं दी। रिवीजन कर्ता के दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि जमीन की पहले भी सीओ द्वारा अनुमति नहीं थी, लेकिन फिर भी रजिस्ट्री हो गई। अब रामगढ़ उपायुक्त माधवी मिश्रा द्वारा यह जांच होगी कि रामगढ़ के भूमि विभाग के अधिकारी किसी और का हक किसी और को दे रहे हैं या नहीं। उन्होंने इस मामले में गंभीरता से जांच करने के लिए निर्देश दिए हैं।

यहां तक कि उत्तरी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त को भी इस मामले की जांच करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। इससे यह साबित होता है कि इस मामले में सरकारी अधिकारी ने गंभीरता से कार्रवाई करने की योजना बनाई है और मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

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