डिजीटल डेस्क : Revenge Through Justice – सामूहिक दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीड़िता से जन्मे बेटे ने सामाजिक बदनामी के डर को अनदेखा करते हुए मां को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ी और शुरूआत में ताने सहने के बाद आखिरकार घटना के समय कुंवारी रही अपनी मां के दोषियों को उनकी करनी की सजा दिलवाकर ही दम लिया।
बुधवार को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की अदालत में इस अनूठे मामले पर सुनाए गए फैसले ने अचानक चुनावी मौसम में सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। राज्य सरकार से लेकर सियासतदां तक मां के लिए बेटे के इस जज्बे की तारीफ करते नहीं अघा रहे।
1994 में हुआ दुष्कर्म, उस समय पीड़िता महज 12 वर्ष की थी
आरोपी सगे भाइयों ने तब ऐसी दबंगई की कि पीड़िता के परिवार को शहर छोड़ना पड़ा
पीड़िता 13 साल की उम्र में जब गर्भवती हुई
मार्च 2021 में शाहजहांपुर के सदर बाजार थाने में दर्ज हुआ मामला
इस घटना के 17 साल बाद बेटे की तलाश की और मिलने पर उसे पूरी आपबीती सुनाई तो पूरे मामले में नया मोड़ आया
पीड़िता बोली – जीवन का लंबा और काला अध्याय पीछे छूटा
Revenge Through Justice : 1994 में हुआ दुष्कर्म, उस समय पीड़िता महज 12 वर्ष की थी
शाहजहांपुर के कोर्ट ने 30 साल पहले हुए गैंगरेप के मामले में कोर्ट ने दोनों आरोपी भाइयों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। 1994 में 12 साल की उम्र में पीड़िता के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया गया। इसके 27 साल बाद पीड़िता के बेटे ने शिकायत दर्ज कराई तो तत्काल पुलिस ने आरोपी भाइयों को सलाखों के पीछे भेजा।
कोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत होने पर दोनों आरोपियों ने गैंगरेप से इंकार कर दिया तो कोर्ट ने सच और झूठ को तकनीकी तौर पर स्पष्ट जानने के लिए पीड़िता बेटे और आरोपियों का डीएनए टेस्ट करवाया । इसमें दोनों आरोपियों का डीएनए उससे मिल गया। डीएनए मैच होने पर शाहजहांपुर के सत्र न्यायाधीश लवी यादव ने बुधवार को दोनों आरोपियों को 10 साल की जेल की सजा सुनाई। दोनों आरोपियों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
आरोपी सगे भाइयों ने तब ऐसी दबंगई की कि पीड़िता के परिवार को शहर छोड़ना पड़ा
शाहजहांपुर कोर्ट से इस प्रकरण पर मिली जानकारी के मुताबिक, मामला वर्ष 1994 का है। उस समय पीड़िता की उम्र 12 साल थी। वह शाहजहांपुर शहर में अपनी बहन और बहनोई के घर पर रहती थी। दोनों सरकारी कर्मचारी थे और उसी कारण दोनों ही नौकरी पर सुबह चले जाते थे। उनके घर के पास में ही नक्की हसन और गुड्डू रहते थे। घर में अकेला पाकर पड़ोस में रहने वाले नकी हसन और गुड्डू ने घर में घुसकर पीड़िता के साथ रेप किया।
लोकलाज के डर से पीड़िता ने किसी से कुछ नहीं कहा। इसका फायदा उठाकर दोनों उसके साथ रेप करते रहे। इसके चलते पीड़िता 13 साल की उम्र में जब गर्भवती हुई तो पीड़िता के बहन-बहनोई को प्रकरण का पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने भलमनसाहत में आरोपियों से शिकायत की लेकिन आरोपियों ने दबंगई दिखाते हुए उन्हें धमकाते हुए चुप करा दिया और शहर छोड़ने तक को मजबूर कर दिया।
Revenge Through Justice : मार्च 2021 में शाहजहांपुर के सदर बाजार थाने में दर्ज हुआ मामला
लोकलाज के डर से बहन-बहनोई पीड़िता को लेकर शाहजहांपुर छोड़कर अपना ट्रांसफर करवाकर रामपुर चले गए। वहां उसने एक बेटे को जन्म दिया। बाद में बेटे को एक रिश्तेदार को पालने के लिए दे दिया गया। बाद में दूसरे जगह पीड़िता की शादी करा दी गई। पीड़िता ने इस घटना के 17 साल बाद बेटे की तलाश की और मिलने पर उसे पूरी आपबीती सुनाई तो पूरे मामले में नया मोड़ आया। बेटे ने मार्च 2021 में सदर बाजार थाने में आरोपी नकी हसन और गुड्डू के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कराया।
Revenge Through Justice : पीड़िता बोली – जीवन का लंबा और काला अध्याय पीछे छूटा
शाहजहांपुर सत्र न्यायाधीश लव यादव की ओर से फैसला सुनाए जाने के बाद रेप पीड़िता ने न्याय मिलने पर खुशी जताई। उसने कहा कि जीवन का लंबा और काला अध्याय अब पीछे छूट चुका है। पीड़िता ने कहा कि आज तक मैं उस डर के साये में जी रही थी। ‘शाहजहांपुर’ का नाम सुनते ही उसके अंदर भय पैदा हो जाता था और सिहर उठती थी।
शाहजहांपुर नाम सुनते ही उसके अंदर बड़ी चिंता और घबराहट होने लगती थी। लेकिन जब उसे उसके बेटे उसकी आपबीती जानने के बाद उसे अपने बलात्कारियों से लड़ने की ताकत दी तो जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। शुरूआत में ताने भी सुनने को मिले लेकिन जब दोनों को पुलिस ने हवालात में डाला तो कानून पर भरोसा बढ़ा।
पीड़िता ने कहा कि दोनों आरोपियों ने जब गैंगरेप किया तो वह अंदर से हिल गई थी और बाद में 13 साल की उम्र में ही कुंवारी मां के रूप में बेटे को जन्म देने की कठिन परीक्षा के दौर से गुजरी। उस समय रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ ही माता-पिता के दबाव के कारण उसने बच्चे को छोड़ दिया दिया लेकिन जब बेटे से मुलाकात हुई तो जिंदगी को नया संबल मिला।