एस के राजीव
पूर्णिया: लोकसभा चुनाव में खाली हुए विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की गिनती आज जारी है। बिहार के एक मात्र विधानसभा सीट रुपौली सीट पर गिनती समाप्त हो गई और इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जदयू और राजद दोनों के उम्मीदवारों को शिकस्त देकर जीत हासिल की। इस सीट मतगणना शुरू होने के शुरुआती छः चरणों तक की गिनती तक जदयू के उम्मीदवार कलाधर मंडल आगे चल रहे थे लेकिन सातवें राउंड से निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने बढ़त बनाई और फिर वह विजयी हो गए। जबकि लगातार चार बार की विधायक बीमा भारती तीसरे नंबर पर रही।
बीमा भारती ने लोकसभा चुनाव के दौरान जदयू से इस्तीफा देकर राजद से लोकसभा चुनाव में मैदान में आई थी और विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने एक बार फिर विधानसभा में अपनी किस्मत आजमाई और विधानसभा चुनाव में भी उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
पिछड़े बहुल क्षेत्र की सीट पर सवर्ण ने मारी बाजी
बात करें अगर रुपौली विधानसभा क्षेत्र की तो इस क्षेत्र में वोटों की संख्या पिछड़े और अतिपिछड़े वोटरों की अधिक है। पिछड़े वोटरों की संख्या को देखते हुए जदयू ने कलाधर मंडल को टिकट दिया तो राजद ने लगातार चार बार से विधायक रही बीमा भारती पर दांव खेला लेकिन दोनों ही दलों की सारी कोशिशें फेल हो गई। विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को 67779 वोट प्राप्त हुआ तो जदयू के कलाधर मंडल को 59568 वोट और राजद की बीमा भारती को 30108 वोट। शंकर सिंह ने कुल 8211 वोटों से जीत दर्ज की।
नहीं चली तेजस्वी की जातिवादी राजनीति
राजद के नेता और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अक्सर पिछड़ों की राजनीति करते हैं लेकिन बावजूद इसके उन्हें पिछड़ा बहुल विधानसभा क्षेत्र में बुरी हार का सामना करना पड़ा। वहीं जदयू पिछड़ा समेत हर जाति और समुदाय की राजनीति करती है लेकिन बावजूद इसके जदयू का भी सारा समीकरण असफल रहा और लोजपा से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे शंकर सिंह ने बाजी मार ली। बता दें कि रुपौली विधानसभा क्षेत्र में पिछड़े और अतिपिछड़े वोटरों की संख्या अधिक है जबकि सवर्ण वोटरों की संख्या बहुत कम।
पिछड़ों के गढ़ में सवर्ण ने मारी बाजी
बता दें कि रुपौली विधानसभा क्षेत्र पिछड़ों का गढ़ माना जाता है। रुपौली विधानसभा क्षेत्र में पिछड़े और अतिपिछड़े वोटरों की संख्या अधिक है। अतिपिछड़ा वोट अधिक होने की वजह से 2005 के विधानसभा चुनाव लगातार बीमा भारती विधायक बन रही थी। लोकसभा चुनाव के बाद वोटरों की संख्या और जाति का समीकरण देखते हुए जदयू और राजद दोनों ने ही अतिपिछड़ा उम्मीदवार उतारा लेकिन मतदाताओं ने सबको चौंकाते हुए निर्दलीय मैदान में उतरे सवर्ण उम्मीदवार को जीत दिला दी।
निर्दलीय का दबदबा
लोकसभा चुनाव में भी पूर्णिया के मतदाताओं ने सभी जाति और दल की राजनीति को धता बताते हुए निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव को अपना आशीर्वाद दिया था। पप्पू यादव की जीत भी एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए एक झटका के रूप में देखा जा रहा था इसी बीच एक बार फिर विधानसभा उपचुनाव में भी पिछड़ा मतदाता बहुल क्षेत्र में सवर्ण निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है।
जनसुराज की बढ़ रही लोकप्रियता
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जनसुराज नाम से एक अभियान चलाया है और वह इस अभियान के तहत बिहार का भ्रमण कर रहे हैं और लोगों को एक जुट करने में जुटे हैं। प्रशांत किशोर लोगों को यह बताने में जुटे हुए हैं कि बिहार की राजनीति में अब तक आम जनता की भलाई के लिए कोई काम हुआ ही नहीं। प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जनसुराज आगामी विधानसभा चुनाव में एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर चुनाव लड़ेगी और वह लोगों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं।
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