ईटखोरी- एक तरफ जहां आधुनकिता के दौर में लोग संस्कृत भाषा को भूलते नजर आ रहे हैं, वहीं कांचीपुरम से आए रामानुजाचार्य श्रीमन्नारायण श्रीनिवासाचार्य मां भद्रकाली मंदिर के प्रांगण में बच्चों को संस्कृत और वेद का ज्ञान देकर भारत की संस्कृति को जिंदा रखने के प्रयास में जुटे हुए है.
श्रीनिवासाचार्य बताते हैं कि ब्राह्मणों को वेद और संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है.
अम्बा प्रसाद विवाद मामले में बाबा मंदिर प्रबंधक रमेश परिहस्त किए गए कार्यमुक्त