ARA में विशेश्वर ओझा हत्याकांड में मिश्रा बंधु समेत सात आरोपी दोष सिद्ध, छः बरी

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आरा: बिहार के ARA में चर्चित विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आज आरा की एडीजे 8 की अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए इस कांड में आरोपित ब्रजेश मिश्रा तथा हरेश मिश्रा समेत सात आरोपियों को दोषी ठहराया जबकि साक्ष्य के अभाव में छह को दोष मुक्त कर दिया। इस मामले में सजा के बिंदु पर सुनवाई अगली तारीख को होगी और दोष सिद्ध अपराधकर्मियों को अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर सजा का निर्धारण किया जाएगा।

खचाखच भरे न्यायालय कक्ष में न्यायाधीश ने चार बजकर एक मिनट पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित ब्रजेश मिश्रा को सबसे पहले आदेश की जानकारी दी। इसके बाद हरेश मिश्रा समेत पांच अन्य आरोपियों को आदेश की जानकारी दी। इसके बाद छह आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया। कोर्ट ने हरेश मिश्रा, ब्रजेश मिश्रा, उमाकांत, टुनि, बसंत, पप्पू तथा हरेंद्र सिंह को दोषी करार दिया। वहीं इस कांड में आरोपी कुंदन, संतोष, विनोद, भृगु, मदन, बबलू को संदेह का लाभ मिला। न्यायालय ने इन सभी छह को दोष मुक्त घोषित कर दिया।

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क्या है मामला?
यह मामला दिनांक 12 फरवरी 2016 की शाम की है। इस दिन विशेश्वर ओझा अपनी सफारी गाड़ी से ड्राइवर राकेश कुमार ओझा एवं चार अन्य समर्थकों के साथ बभनौली निवासी चंदेश्वर उपाध्याय के भतीजे की बारात में सम्मिलित होने परसोंडा टोला स्थित मृत्युंजय मिश्रा के यहां आए थे। यहां से एक अन्य गाड़ी उनके काफिले में शामिल हो गई। लौटने के क्रम में सोनबरसा मैदान में घेरकर मिश्रा बंधुओ ने अपने सहयोगियों के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। इस कांड में विशेश्वर ओझा एवं उनके ड्राइवर राकेश कुमार ओझा को गोली लगी थी। ‌बाद में इलाज के दौरान विशेश्वर ओझा को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था।

घटना के बाद प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था क्योंकि विशेश्वर ओझा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। इस कांड में सूचक राजनाथ ओझा के बयान पर शाहपुर थाना कांड संख्या 48/2016 अंकित किया गया था जिसमें कुल सात नामजद एवं तीन-चार अन्य अज्ञात का नाम जिक्र किया गया था। पुलिस ने अपनी जांच के बाद कुल 13 अभियुक्त के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था।

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तीन चिकित्सक की हुई गवाही
इस कांड के ट्रायल में शहर के तीन नामी चिकित्सकों की गवाही अभियोजन ने कराई। जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टर कृपा शंकर चौबे की अध्यक्षता में एक तीन सदस्य मेडिकल टीम का गठन पोस्टमार्टम कराने के लिए किया गया था। जिस टीम ने पोस्टमार्टम किया था उस टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर कृपा शंकर चौबे का इस कांड में साक्ष्य परीक्षण कराया गया। इसके अलावा शहर के विख्यात चिकित्सक डॉ विकास सिंह जिनके यहां गोलियां निकाली गई थी उनकी भी गवाही इसमें करवायी गयी।

विशेश्वर ओझा का प्रथम इलाज करने वाले डॉक्टर रमाशंकर चौबे जो शाहपुर रेफरल अस्पताल में पदस्थापित थे उनकी भी इस कांड में गवाही करवाई गई। डॉ रमाशंकर चौबे ने विशेश्वर ओझा के ड्राइवर रमाशंकर ओझा का इलाज भी किया था जिसकी गोलियां निकल गई थी और इस संबंध में भी चिकित्सकों ने अपने साक्ष्य परीक्षण में जिक्र किया है।

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मुख्य गवाह कमल किशोर मिश्रा की हत्या सत्र विचारण के दौरान
इस कांड में दो सत्र विचारण चला जिसमें मुख्य साजिश कर्ता एवं अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा के मामले में चले सत्र विचारण संख्या 402/18 में गवाही से पूर्व ही मुख्य गवाह एवं इस कांड के चश्मदीद कमल किशोर मिश्रा की हत्या दिनांक 28/9/2018 को कर दी गई थी। बाद में जिला अभियोजन पदाधिकारी माणिक कुमार सिंह द्वारा सत्र विाचरण संख्या 390/2016 में कमल किशोर मिश्रा की गवाही एवं प्रति परीक्षण को उनकी हत्या के उपरांत प्रदर्श के रूप में अंकित कराया गया जिसे जिसे न्यायालय ने बहस के दौरान साक्ष्य परीक्षण के तौर पर स्वीकार कर लिया जिसके आधार पर आज यह फैसला सुनाया गया।

मुख्य गवाह हत्याकांड में मिश्रा बंधुओं को हुई है आजीवन कारावास
जिला अभियोजन पदाधिकारी सह अपर लोक अभियोजक माणिक कुमार सिंह ने बताया कि कि मुख्य गवाह कमल किशोर मिश्रा की हत्याकांड में मिश्रा बंधु (ब्रजेश मिश्रा एवं उनके एक अन्य भाई) एवं उनके सहयोगी दोष सिद्ध पाए गए थे। एडीजे -2 अखिलेश सिंह की अदालत द्वारा पिछले माह ही सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।

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कौन आरोपी कहां था आज?
ब्रजेश मिश्रा बक्सर, हरेश मिश्रा एवं बसंत मिश्रा भागलपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आज इस सुनवाई में शामिल हुए जबकि आरा मंडल कारा में बंद टुनी मिश्रा एवं उमाकांत मिश्रा आरा मंडल कारा से न्यायालय लाए गए। इस कांड में आठ अन्य अभियुक्त बेल पर थे जिन्होंने आज न्यायालय में सरेंडर किया।

सजा से खुश दिखे परिजन
विश्वेश्वर ओझा के पुत्र राकेश विश्वेश्वर ओझा ने फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आज अदालत के फैसले को न्याय की जीत बताया साथ ही कहा कि जांच यदि प्रभावित नहीं की गई होती तो कई अन्य नाम सामने आते। उन्होंने कहा कि राजद नेता शिवानंद तिवारी तथा उनके विधायक पुत्र राहुल तिवारी को तत्कालीन सरकार में शामिल राजद सुप्रीमो के दबाव में पुलिस ने बचाया। मुकदमे की जांच को प्रभावित करने के लिए तत्कालीन एसपी एनसी झा का हुआ था तबादला, राकेश विश्वेश्वर ओझा ने आरोप लगाया

आरा से नेहा की रिपोर्ट

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