डिजिटल डेस्क : शरद पवार को डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से हुई बेचैनी…। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की सूचना पाकर एनसीपी नेता और कांग्रेस में महाराष्ट्र लॉबी के एक जमाने में धुरंधर रहे शरद नेता को खासी बेचैनी है। यह बात खुद शरद पवार ने साझा की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार शुक्रवार को मुंबई में पूर्व पीएम के निधन पर भावुक दिखे। राज्य और केंद्र में लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले शरद पवार ने कहा कि – ‘…पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से बैचैनी है’।
शरद पवार बोले – देश ने एक महान अर्थशास्त्री…वैश्विक नेता खो दिया
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार शुक्रवार को मुंबई में पूर्व पीएम के निधन पर शोक व्यक्त किया। इस दौरान पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री शरद पवार ने कहा कि – दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह विनम्रता, सहनशीलता, सहनशीलता और करुणा की प्रतिमूर्ति थे। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश ने एक महान अर्थशास्त्री, दूरदर्शी सुधारक और वैश्विक नेता खो दिया है।


भावुक होकर शरद पवार ने सुनाया डॉ. मनमोहन सिंह से पहली मुलाकात का वाकया…
मुंबई में पूर्व पीएम के निधन पर भावुक शरद पवार ने डॉ. मनमोहन सिंह अपनी पहली मुलाकात का वाकया भी साझा किया। शरद पवार ने कहा कि – ‘…डॉ. मनमोहन सिंह से मेरा परिचय मुंबई में हुआ था। तब मैं महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री था और तब वह रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में मुंबई में कार्यरत थे।


… तो स्वाभाविक रूप से, कभी-कभी, किसी न किसी कारण से, हमारे बीच अच्छी बनती थी। …तो एक तरह से मेरे मन में उनके प्रति लगाव पैदा हो गया।
…बाद में चन्द्रशेखर सिंह देश के प्रधानमंत्री बने और उनके कार्यकाल के दौरान उनके कुछ सहयोगी आर्थिक सलाहकार बने। उनमें मनमोहन सिंह भी थे। नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल के गठन के बाद मनमोहन सिंह को वित्त की जिम्मेदारी दी गई थी और मैं तब रक्षा मंत्री था’।


शरद पवार बोले – डॉ. मनमोहन विनम्र और मृदुभाषी थे लेकिन अपने रुख में दृढ़ भी थे…
शरद पवार ने डॉ. मनमोहन सिंह के संग के अपने अनुभवों को भी साझा किया। शरद पवार ने आगे कहा कि – ‘…प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की जो समितियां बननी थीं, उनमें हम भी थे। इसलिए हम सभी को विभिन्न विषयों पर उनके निर्भीक विचार सुनने का मौका मिला। वह (डॉ. मनमोहन सिंह) विनम्र थे, मृदुभाषी और मितभाषी थे, लेकिन अपने रुख में दृढ़ थे।


…देश के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने उन 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने का काम किया।
…जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने वित्तीय संकट के दौरान देश को बचाने का काम किया और खुद प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने और भी बड़े फैसले लिए और देश को बड़े वित्तीय संकट से बाहर निकाला। अपने 10 साल के कार्यकाल में उन्होंने 9-10 अहम फैसले लिए और पूरे देश को एक अलग दिशा में ले गए’।
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