रांची: फर्जी सर्टिफिकेट – बरियातू हाउसिंग कॉलोनी के फ्लोरा अपार्टमेंट में एक फ्लैट किराए पर लेकर वहां से देशभर के विश्वविद्यालयों के फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले गिरोह के 4 सदस्यों को इंदौर पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया।
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इनमें गिरोह का सरगना कुमार आर्यन उर्फ मुकेश सिंह और उसका भतीजा अमित कुमार सिंह के अलावा दो अन्य शामिल हैं। सभी बिहार के पुर्णिया के हैं।
फ्लैट से विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्टांप-मुहर के अलावा लैपटॉप, प्रिंटर व मोबाइल आदि बरामद हुए हैं। पूछताछ में मुकेश ने बताया है कि जेएनयू से स्नातक करने के बाद उसने तीन साल तक यूपीएससी की तैयारी थी। सफलता नहीं मिली तो फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का गिरोह बना लिया।
गिरोह में बिहार-झारखंड के अलावा मध्यप्रदेश और दिल्ली के 40 से ज्यादा लोग शामिल हैं, जो अलग-अलग विवि में जाकर स्टूडेंट्स को झांसे में लेकर ठगते हैं।
मुकेश ने यह भी बताया है कि फ्लोरा अपार्टमेंट और उसके आसपास रहनेवालों को वह अपना परिचय रिटायर्ड वीसी के तौर पर देता था, ताकि उसे सम्मान मिल सके। उसने पुलिस को कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी दी है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
फर्जी सर्टिफिकेट गिरोह
गिरोह के सदस्यों ने ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए 50 हजार व मास्टर डिग्री के लिए एक लाख तक लेते थे। आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों से कम पैसे लेकर भी सर्टिफिकेट मुहैया करा देते थे।
किसी भी विद्यार्थी को ऑफिस या घर में बुलाकर सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता था, बल्कि उसे कुरियर से भेजा जाता था, ताकि गिरोह के बारे में किसी को कोई जानकारी न हो सके।
पुलिस पूछताछ में सरगना ने बताया है कि उसके ग्रिरोह में कई लड़कियां भी हैं, जो विद्यार्थियों को फंसाती हैं। पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को गिरोह के सदस्य टारगेट करते हैं और ठगी की घटना का अंजाम देते हैं।
अबतक 300 से ज्यादा विद्यार्थियों को फर्जी सर्टिफिकेट दे चुके हैं, लेकिन प्राइवेट कंपनी में कहीं भी किसी को नहीं पकड़ा जा सका है। ऐसे में पुलिस अब उन विद्यार्थियों के बारे में भी जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है कि कौन-कौन लोगों ने सर्टिफिकेट की खरीदारी की है।