मुस्कुराइये क्योंकि आप जामताड़ा के सदर अस्पताल में हैं

इस अस्पताल में अच्छा आदमी भी हो जाता है बीमार

जामताड़ा : जामताड़ा के सबसे बड़े हॉस्पिटल सदर अस्पताल में भगवान भरोसे मरीज का इलाज होता है. भर्ती मरीज अपने हाल पर रहते हैं. जमीन पर सोना, गंदगी के बीच रहना यहां भर्ती मरीजों की नियति बन गई है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यहां भर्ती मरीजों द्वारा बताया जा रहा है.

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विभागीय लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डायलिसिस जैसे क्रिटिकल इलाज के दौरान भी मरीज के शरीर पर छत से गंदा पानी टपकता रहता है. जिससे यह माना जा सकता है कि मरीज की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. कड़ाके की ठंड के मौसम में भी मरीज को चादर तथा कंबल देना तो दूर जमीन पर सुला दिया जाता है, वह भी ऐसे जगह पर जहां गंदा पानी बहता रहता है.

ड्यूटी से गायब रहते हैं अस्पताल कर्मी

महिला मरीज का आरोप है कि रात के समय अगर मरीज की तबीयत बिगड़ जाती है तो कोई चिकित्सक देखने तक नहीं आते हैं. यही कारण है कि बीते सप्ताह एक मरीज को रात्रि में ऑक्सीजन लगाकर नर्स ड्यूटी से गायब हो गए, परंतु ऑक्सीजन बंद हो जाने के कारण रात भर मरीज तड़पता रहा पर कोई उसे देखने तक नहीं आया. मरीज बताते हैं कि जांच के नाम पर कई सुविधाएं शुरू की गई है परंतु अधिकांश मशीन खराब है. जिस कारण लोगों को काफी परेशानी होती है.

सात में सिर्फ तीन ओपीडी में ही होता है काम

लगभग 9 लाख आबादी वाले जामताड़ा जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य मिले इसके लिए 33 चिकित्सकों का पद स्वीकृत किया गया है, परंतु 10 चिकित्सक ही कार्यरत है. बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए सात ओपीडी खोले गए हैं. परंतु तीन ओपीडी को छोड़ अधिकांश ओपीडी हमेशा बंद रहता है.

वहीं पूछने पर अस्पताल प्रबंधक हो या फिर सिविल सर्जन सभी के द्वारा एक ही जवाब दिया जाता है कि दोषी पर कार्रवाई की जाएगी और व्यवस्था में सुधार होगा. परंतु कब इस दिशा में पहल होगी यह कोई नहीं बता सकता है.

रिपोर्ट: उज्ज्वल

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