कैमूर : डॉ. अम्बेडकर स्टुडेंट फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी जमील खान ने बड़ी बात कह दी है। उन्होंने कहा कि देश में नमाजियों पे हिंसा इस्लामफोबिया का प्रतीक है। भारत पहला ऐसा महान लोकतांत्रिक देश है जहां धर्म के आधार पे कावरियों पे फूल बरसाया जाता है। वहीं मुसलमानों पर जूते बरसाए जा रहे हैं। ये इसलिए भी हो रहा है कि इस देश में मुसलमान राजनैतिक रूप से काफी कमजोर हैं। खुद को तथाकथित सेक्युलर कहने वाली पार्टियां भी मुसलमानों के आवाजों को बहुसंख्यक वोट के ध्रवीकरण के डर से आवाज नहीं उठा पाते हैं।
भारतीय मुसलमान भी आजादी से लेकर आज तक में अपना खुद का कोई नेता नहीं चुन पाए हैं जो उनके लिए सड़क से संसद तक उनके हक अधिकार की आवाज उठा सके जो मुसलमानों के लिए लड़ने वाला हो। अगर कोई उनकी आवाज को बुलंद करने वाला भी है तो खुद मुसलमान ही उनको भाजपा का एजेंट साबित करने में लगे हुए हैं। जिसका नतीजा है कि देश के मुसलमान अनाथ हैं और उन पर देश के हर कोने में जोर जुल्म किया जा रहा है।
कांग्रेस के थपकी से सोए मुसलमानों को भाजपा लात मारकर जगाना चाह रही है। मगर ये अब भी सोए हुए हैं। अगर ये अब भी नहीं जागे तो भारत के मुसलमानों का हाल बहुत जल्द रोहंगिया मुसलमानों जैसा हो जाएगा। खान ने गृहमंत्री अमित शाह से मांग किया कि मुसलमानों के प्रति दुर्भावना से ग्रसित ऐसे पुलिस अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए और इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
विवेक कुमार सिन्हा की रिपोर्ट