भारत विभाजन की त्रासदी झेलने वाले करोड़ों लोगों के लिए सीएए को बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बताया मरहम। राजद कांग्रेस से पूछा पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना सांप्रदायिक कैसे? प्रेम केवल धर्म विशेष तक सिमिति क्यों?
पटना: देश में सीएए को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर बानी हुई है और सीएए को सांप्रदायिक के साथ ही आरएसएस का एजेंडा बता रही है। सीएए को लेकर विपक्ष के हंगामा को लेकर अब बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आहार जताया और कहा कि पड़ोसी मुस्लिम देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लाखों लोगों को भारत में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलना आसान होगा। यह कानून महज एक कानून नहीं बल्कि देश विभाजन का त्रासदी झेलने वाले लोगों के घाव का मरहम साबित होगा। मोदी ने पूछा कि जब मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों में लंबी प्रताड़ना का दंश और अपमान सहने वाले लोग अगर भारत में सम्मानजनक जीवन जीते हैं और सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं तो इसमें क्या दिक्कत है?
उन्होंने कहा कि सीएए लागू कर भाजपा ने अपना संकल्प और संविधान निर्माताओं का सपना पूरा किया, जबकि संविधान की दुहाई देने वाले राजद, कांग्रेस और वामदल केवल मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने के लिए इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वहीं चुनाव पूर्व सीएए लागू किये जाने को राजनीतिक फायदा के सवाल सुशील मोदी ने कहा कि कानून को 4 साल पहले संसद पारित कर चुकी है, उसके क्रियान्वन को चुनाव से जोड़ कर क्यों देखा जा रहा है?
उन्होंने कहा कि जिन पड़ोसी देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं और सत्ता धर्मनिरपेक्षता में विश्वास नहीं करती, वहाँ के गैर-मुसलमान अल्पसंखयकों की पीड़ा भारत के विपक्षी दलों को क्यों नहीं दिखती? राहुल गांधी, ममता बनर्जी और लालू प्रसाद का अल्पसंखयक-प्रेम एक धर्म-विशेष तक सीमित क्यों है? बांग्लादेश में अपना घर-बार छोड़कर पश्चिम बंगाल एवं अन्य राज्यों में शरण लिए मतुआ समुदाय के लाखों पीड़ित हिंदुओं को सीएए लागू कर भारत सरकार ने वर्षों बाद खुल कर होली मनाने का अवसर दिया। इनके सूने जीवन में रंग भरने वाला कानून विपक्ष को काला क्यों लगता है?