सुप्रीम कोर्ट का पतंजलि मामले में आईएमए को फटकार, केंद्र सरकार से मांगा भ्रामक विज्ञापनों पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

ड़िजीटल डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव से पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े अवमानना के मामले की सुनवाई करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को फटकार लगाई। कहा कि वह पतंजलि पर अंगुली उठा रहा है, जबकि चार अंगुलियां उन पर इशारा कर रही हैं। एफएमसीजी भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे विशेष रूप से शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का उपभोग करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को तीन साल तक भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अगली सुनवाई 30 अप्रैल को, सभी राज्यों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को पक्षकार बनाने का निर्देश

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें हैं। आईएमए को अपने कथित अनैतिक कृत्यों के संबंध में भी अपनी स्थिति दुरुस्त करनी होगी, जहां ऐसी दवाएं लिखी जाती हैं जो महंगी और अनावश्यक हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई। आईएमए से सुप्रीम कोर्ट ने पूछते हुए कहा कि आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं। अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर सवाल क्यों नहीं उठाना चाहिए? यह किसी विशेष पार्टी के लिए हमला करने के लिए नहीं है, यह उपभोक्ताओं या जनता के व्यापक हित में है कि उन्हें कैसे गुमराह किया जा रहा है और सच्चाई जानने का उनका अधिकार है और वे क्या कदम उठा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर जागने को कहा

पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार को इस मामले पर जागना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह (मामले में) सह-प्रतिवादी के रूप में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सवाल पूछ रहा है। देश भर के राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी पार्टियों के रूप में जोड़ा जाएगा और उन्हें भी कुछ सवालों के जवाब देने होंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव से पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े अवमानना के मामले की सुनवाई करते हुए सवाल दागा कि आपने किस साइज में विज्ञापन दिया है, एक सप्ताह बाद कल (सोमवार 22 अप्रैल 2024) क्यों दिया गया और मांगी गई सार्वजनिक माफी वाले विज्ञापन का आकार क्या आपके सभी विज्ञापनों में समान है ?

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है।
बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट में

सुप्रीम कोर्ट को पतंजलि ने बताया कि 10 लाख का प्रकाशित किया माफीनामा

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के सामने मंगलवार को सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण कोर्ट में मौजूद हैं। बेंच के सवालों के जवाब में पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने एक माफीनामा प्रकाशित किया है। इसकी कीमत 10 लाख रुपये है। पिछली तारीख पर कोर्ट में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के वकील ने सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने के बाद पतंजलि ने अखबार में माफीनामा प्रकाशित कर माफी मांगी है। अखबार में सोमवार को माफीनामा का विज्ञापन दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बचाव में उतरे केंद्र सरकार से भी पूछा सवाल

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि आज सूचीबद्ध यह हस्तक्षेपकर्ता कौन है ?  ऐसा लगता है कि वह प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं का समर्थन करना चाहते हैं। वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पर जुर्माना लगाना चाहते हैं। न्यायमूर्ति ने कहा कि हम बहुत उत्सुक हैं,  इस एप्लिकेशन के समय को लेकर। हम जानना चाहते हैं कि यह व्यक्ति कौन है और हमें उसे अपने सामने रखना होगा। न्यायमूर्ति कोहली ने केंद्र सरकार से कहा कि अब आप नियम 170 को वापस लेना चाहते हैं। यदि आपने ऐसा निर्णय लिया है, तो आखिर क्या हुआ? आप केवल उस कानून के तहत कार्य करना क्यों चुनते हैं, जिसे उत्तरदाताओं ने पिछड़ा हुआ कहा है?  बेंच ने केंद्र से कहा कि आपने भ्रामक विज्ञापन के मामले में क्या कदम उठाया है, हमें बताएं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते का दिया था समय

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के लिए 23 अप्रैल की तारीख तय की थी। इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से सीधे बात की थी। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि आयुर्वेद के प्रति उत्साह के चलते विज्ञापन किए, कानून की जानकारी नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट में गत 19 अप्रैल को भी हुई थी सुनवाई

इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है। पीठ ने बालकृष्ण से कहा था, ‘आप अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आप एलोपैथी को नीचा नहीं दिखा सकते।’ वहीं, रामदेव ने अदालत से कहा था कि उनका किसी भी तरह से अदालत का अनादर करने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि, पीठ ने बालकृष्ण से कहा था कि वे (पतंजलि) इतने निर्दोष नहीं हैं कि उन्हें पता ही न हो कि शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपने पहले के आदेशों में क्या कहा था।

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