झारखंड में जारी भाषा विवाद पर बोले सूर्य सिंह बेसरा- हिंदी किसी राज्य के लिए बाध्यता नहीं

रांची : राज्य में जारी भाषा विवाद के बीच झारखंड आंदोलनकारी सूर्य सिंह बेसरा ने कहा है कि पहले वे लड़ाकू थे लेकिन अब पढ़ाकू बन गए हैं. लिहज़ा, उन्हें पूरी जानकारी है कि, हिंदी राष्ट्रभाषा हो सकती है, लेकिन किस राज्य के लिए यह बाध्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि, बंगाल और ओडिशा ने आज तक हिंदी को नहीं अपनाया है. यहां तक की बिहार में भी यही स्थिति है. उन्होंने कहा कि, भोजपुरी बोली है ना कि कोई भाषा है. यही वजह है कि, इसकी विधिवत रूप से पढ़ाई नहीं होती है.

28 फरवरी को मानव श्रृंखला और 14 मार्च को विस घेरेंगे आदिवासी-मूलवासी संगठन

बता दें कि भाषा विवाद पर सोमवार को विभिन्न आदिवासी-मूलवासी संगठनों ने बैठक की. बैठक पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव की अध्यक्षता में बरियातू तेतर टोली में हुई. बैठक में कहा गया गया कि हेमंत सरकार ने झारखंड में बाहरी भाषा भोजपुरी, मैथिली, मैथिली अंगिका को भाषा के रूप में लागू किया गया है. इसका संगठनों द्वारा पुरजोर विरोध करते हैं. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 10 फरवरी को रांची सहित प्रदेशों के विभिन्न जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस और पुतला दहन कार्यक्रम किया जाएगा. 28 फरवरी को रांची में विधानसभा सहित पूरे प्रदेश में मानव श्रृंखला बनाया जाएगा. 14 मार्च को विधानसभा घेराव करेंगे.

बता दें कि झारखंड में भाषा विवाद को लेकर झारखंड भाषा संघर्ष समिति के सदस्यों ने राज्य सरकार से भोजपुरी, मगही, अंगिका भाषा को नियोजन नीति से हटाने की मांग की. झारखंड भाषा संघर्ष समिति ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत धनबाद में राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.

रिपोर्ट : शाहनवाज

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