वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बयान के विरोध में मंगलवार को काली पट्टी लगाएंगे शिक्षक

रांचीः झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बयान के विरोध में राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक मंगलवार को काली पट्टी लगाएंगे । रामेश्वर उरांव ने सरकारी शिक्षकों पर दायित्व का सही से निर्वाह न करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी शिक्षक सिर्फ पैसे के लिए नौकरी करते हैं। वित्त मंत्री यहीं तक नहीं रूके। उन्होंने यहां तक कह दिया कि न तो वे सरकारी स्कूल में पढ़े हैं और न ही अपने बच्चों को पढ़ाया है । इतना ही नहीं उनकी आनेवाली पीढ़ी भी सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ेगी। वित्त मंत्री के इस बयान के बाद शिक्षक तो नाराज हैं ही, अब इसपर राजनीति भी गरमाने लगी है। प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने इसे शिक्षा में तुष्टीकरण करार दिया है।

बीजेपी ने कहा, बच्चों को जानबूझकर प्राइवेट स्कूलों में भेजने की है कोशिश

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि वित्त मंत्री एक ओर शिक्षकों को कोस रहे हैं और दूसरी ओर मदरसों को अनुदान देने के लिए नियमों को संशोधित करने की बात कर रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार के मंत्रियों और विधायकों में तुष्टिकरण की होड़ मची है और ये लोग सत्ता के मद में चूर होकर लगातार गैरजिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। राज्य सरकार शिक्षकों को अपमानित कर रही है और बच्चों को जानबूझ कर प्राइवेट स्कूलों में भेजने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों पर आरोप लगाकर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। दीपक प्रकाश ने कहा गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़ते हैं इसलिए यदि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहती है तो शिक्षकों की बहाली और उन्हे अतिरिक्त कार्य नहीं सौंपने पर घ्यान देना चाहिए।  

संजीदगी दिखाए सरकार, पढ़ाने के अलावा भी शिक्षकों से लिए जाते हैं कई काम – सुदेश महतो

आजसू ने भी वित्त मंत्री के बयान की आलोचना की है। आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि झारखंड सरकार सरकारी स्कूलों के प्रति संजीदगी दिखाए और शिक्षकों को शिक्षक ही रहने दे तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए व्यापक रोड मैप की जरूरत है न कि निजी विद्यालयों से तुलना कर शिक्षकों को हतोत्साहित करने की। सुदेश महतो ने कहा कि सरकार शिक्षकों से कई तरह के काम लेती ह जिससे पढ़ाने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है। उन्होंने सरकारी विद्यालयों में आधारभूत संरचना और शिक्षकों को बेहतर सुविधा और माहौल देने की वकालत की है। कोरोना का जिक्र करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि सरकारी विद्यालयों के बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास की सुविधा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्री रामेश्वर उरांव को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सरकारी शिक्षक इस कोरोना काल में पीडीएस दुकान से लेकर अस्पताल तक में तैनात थे। क्‍वारंटाइन सेंटर, रेलवे स्‍टेशन, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, दवा दुकान, चेक नाका, ऑक्सीजन सेंटर में रहने के साथ-साथ ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का काम भी कर रहे थे। शिक्षकों ने राशन कार्ड के लिए आए नए आवेदनों की भी जांच की और कोविड टेस्ट के लिए कैंप में तैनात रहे। गांव में बाहर से आने वाले लोगों का सर्वे किया, प्रवासी मजदूरों को बसों से जिला और गांव तक पहुंचाया। इतना ही नहीं मिड डे मील समेत और काम भी इनके जिम्मे है. सुदेश महतो ने सरकार को ये भी दिलाया है कि कई शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया है।

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