रांची: देश भर में इन दिनों साइबर अपराध को रोकने पर अभियान चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने भी साइबर अपराधियों से बचने के उपायों पर जोर दिया है। दूसरी ओर, झारखंड में साइबर अपराधियों के 38046 सिम एक्टिव हैं, जिनमें से करीब 1195 सिम रांची में ही हैं। इनमें से भी 10 नंबर ऐसे हैं, जो बहुत एक्टिव हैं और रोज दर्जनों लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इन नंबरों से ठगी के लिए साइबर अपराधी हर दिन नए-नए तरीके अपना रहे हैं।

लोगों को सावधान करने के लिए दैनिक भास्कर ने इन नंबरों की जानकारी दी है। हालांकि, झारखंड पुलिस भी कार्रवाई कर रही है, लेकिन साइबर अपराधी अमरबेल की तरह नए नंबर लेकर फिर से ठगी शुरू कर देते हैं।
झारखंड में पिछले 15 अक्टूबर से 24 नवंबर तक विधानसभा चुनाव के दौरान साइबर अपराधियों पर कार्रवाई धीमी पड़ गई थी। इस दौरान उन पर उस तरह से नकेल नहीं लग सकी, जैसे पहले लगाई जा रही थी। हालांकि, इसके पहले 10 महीनों में झारखंड पुलिस ने 1100 से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया था।
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा है कि अब साइबर अपराधियों पर प्रमुखता से कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी निर्देश दिया है कि साइबर अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ऐसे में पुलिस को इन ठगों पर अंकुश लगाने के लिए चौतरफा कार्रवाई करनी होगी।

साइबर ठगी के नए तरीके
- लिंक फॉलो कर स्क्रीनशॉट भेजने का लालच: हाल के दिनों में साइबर ठग व्हाट्सएप पर एक लिंक भेज रहे हैं, जिसे फॉलो कर उसका स्क्रीनशॉट भेजने पर प्रति स्क्रीनशॉट 150 रुपए देने का लालच दे रहे हैं। ठग पहले कुछ पैसे देकर झांसे में ले लेते हैं, फिर ज्यादा पैसे कमाने के लिए मर्चेंट टास्क देते हैं। जैसे ही लोग ठगों को पैसे के लालच में ज्यादा रकम ट्रांसफर कर देते हैं, ठग उनसे बात करना छोड़ देते हैं।
- वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ठगी: इंस्टाग्राम पर वर्क फ्रॉम होम का लिंक भेज कर साइबर अपराधी लोगों को फंसा रहे हैं। टेलीग्राम ऐप के जरिए जोड़ कर पहले झांसे में लेने के लिए क्रिप्टो से संबंधित टास्क देकर कुछ प्रॉफिट देते हैं। जब लोग लालच में फंस जाते हैं, तब उनसे ज्यादा रकम कमाने के नाम पर मोटी रकम ठग लेते हैं।
- यूरिया की डीलरशिप के नाम पर ठगी: यूरिया की डीलरशिप देने के नाम पर भी रांची के आसपास के ग्रामीण लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। डीलरशिप मिल गई है, यह कह कर सर्टिफिकेट और प्रोडक्ट के नाम पर पैसे मंगवा लेते हैं। फिर ना पैसे वापस करते हैं और ना ही प्रोडक्ट देते हैं।
झारखंड पुलिस को इन ठगों पर अंकुश लगाने के लिए चौतरफा कार्रवाई करनी होगी, तभी इन पर नकेल कसी जा सकेगी।