मंजेश कुमार
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पटना: Bihar में विधानसभा चुनाव में महज 6 महीने बचे हैं और विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक तरफ सभी स्थापित पार्टियां अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी हुई है तो दूसरी तरफ कई नई पार्टियां भी बन रही हैं। पार्टी नई हो या पुरानी सभी आगामी विधानसभा में बिहार में बहुमत से अपनी सरकार बनाने का दावा जरुर कर रहे हैं। खास बात यह है कि बिहार में बनने वाली नई पार्टियां अपने आप को तीसरा मोर्चा बताने में जुटी हुई है और एक तरफ लालू-राबड़ी के कार्यकाल को जंगलराज बता रहे हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार के कार्यकाल को ठगने वाली सरकार। Bihar Bihar
सबसे पहले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर जब जदयू से अलग हुए तो उन्होंने बिहार में जन सुराज नामक एक संगठन बनाया और बिहार की पदयात्रा पर निकल गये। बीते वर्ष 2 अक्टूबर को उन्होंने एक पार्टी का एलान किया। पार्टी के एलान के बाद प्रशांत किशोर लगातार दावा करते हैं कि लालू नीतीश की सरकार ने पिछले 35 वर्षों में बिहार को बदहाल कर दिया है ऐसे में अब राज्य की जनता को एक तीसरा विकल्प चाहिए और तीसरे विकल्प के रूप में वे अपनी पार्टी को रखते हैं। Bihar Bihar Bihar Bihar Bihar Bihar
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कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह जदयू से जब अलग हुए तो भाजपा में गए और जब भाजपा में उन्हें तरजीह नहीं बनी तो आप सबकी आवाज (आसा) पार्टी बनाई। आरसीपी सिंह भी राज्य में अपनी पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हैं। वे यह भी कहते हुए सुने जाते हैं कि अब तक की सरकारों ने राज्य की जनता को ठगा है और अब वे ही राज्य का सही विकास कर सकते हैं।
Bihar में फिर से शुरू हुई जाति की राजनीति
अब जाति के नाम पर एक और नई पार्टी का आगाज रविवार को राजधानी पटना के एतिहासिक गांधी मैदान से की गई है। यह पार्टी है इंडियन इन्कलाब पार्टी जिसकी घोषणा आईपी गुप्ता ने की। आईपी गुप्ता महादलित समुदाय से आने वाले पान समाज को अपना हथियार बना कर उनके हित में संघर्ष करने की बात कर रहे हैं। आईपी गुप्ता मानते हैं कि जब लालू, नीतीश, रामविलास, जीतन राम मांझी, जाति के नाम पर अपनी राजनीति चमका सकते हैं तो वे क्यों नहीं।
उन्होंने अपनी पार्टी की घोषणा के दौरान खुले मंच से कहा भी कि पान समाज के लोग अब तक सामाजिक और राजनीतिक रूप से नजरंदाज किए जाते रहे हैं। पान समाज के लोगों को पहले आरक्षण दिया गया लेकिन फिर उन्हें आरक्षण की श्रेणी से बाहर कर दिया गया इसलिए वे पान समाज के लोगों को एकजुट कर रहे हैं। आईपी गुप्ता का मानना है कि वे पान समाज के लोगों को एकजुट कर उसके नेता बन सकते हैं और फिर सियासी मलाई भी खा सकते हैं।
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फ़िलहाल आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जदयू-भाजपा-राजद-कांग्रेस की ही चलती है या नई पार्टियां कुछ कमाल कर सकती हैं यह तो देखने वाली बात है लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में अब जाति की राजनीति के बार फिर हावी होने लगी है।
सभी दलों के नेता जाति विशेष को अपने ध्यान में रख कर काम कर रहे हैं और उन्हें खुश करने में भी लगे हैं। हालांकि इन दिनों बिहार की राजनीति में यह भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस हो या भाजपा, जदयू या राजद सभी दलित, महादलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा के नाम पर राजनीति कर रहे हैं तो कोई पार्टी मुस्लिम के साथ ही कुछ जाति विशेष के नाम पर तो अब एक नई पार्टी इंडियन इन्कलाब पार्टी ने एक खास समाज पान समाज की राजनीति को अपना मुद्दा बनाया है।
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