लखनऊ: पूरे देश में इन दिनों प्रदूषण काफी बढ़ा हुआ है। प्रदूषण का असर कम करने के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की सरकार लगातार किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील कर रही है। हालांकि कुछ राज्यों की सरकार ने किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं भी बनाई है। उत्तर प्रदेश में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही किसान को पराली जलाने के लिए रोकने के लिए आकर्षक योजना बनाई जिससे अब किसान पराली जलाने के बजाय अब इसे बेच कर मालामाल हो रहे हैं साथ ही राज्य में प्रदूषण का स्तर भी कम हो रहा है।
लगातार घटे पराली जलाने के मामले
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के 8784 मामले दर्ज किये गए थे जो कि 2023 में घट कर 3996 हो गया। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने पराली प्रबंधन की एक समीक्षा बैठक की थी। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में हर वर्ष 2.096 करोड़ मीट्रिक टन पराली का का उत्पादन होता है। इनमे करीब 34.44 लाख मीट्रिक टन चारा जबकि 16.78 लाख मीट्रिक टन पराली का उपयोग अन्य कामों में किया जा रहा है। इसी तरह 1.58 करोड़ मीट्रिक टन पराली का इन सीटू एवं एक्स सीटू मैनेजमेंट के जरिये निस्तारण किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पराली के औद्योगिक उपयोगी की पहल से धान के भूसे को औद्योगिक और घरेलू उत्पादों में उपयोग करने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं। इसके साथ ही जैविक खेती और लीफ कम पोस्ट वेस्ट के उपयोग को बढ़ावा दे कर मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार किया गया है।
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