ट्रिपल टेस्ट व मेयर की सीट के आरक्षण का मुद्दा बना पेच

रांची: झारखंड में पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर अब तक नगर निकाय चुनाव लटका हुआ है. इसके लिए यहां ट्रिपल टेस्ट जरूरी है या फिर पिछड़ों के आरक्षण के बिना ही चुनाव कराना होगा.

राज्य सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग से ट्रिपल टेस्ट कराने का फैसला लिया था, लेकिन अब तक आयोग का गठन ही नहीं हुआ है. आयोग में अध्यक्ष नहीं हैं. ऐसे में ट्रिपल टेस्ट कराना भी संभव नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट का फॉर्मूला दिया है. इसके तहत राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों का डाटा एकत्र करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन जरूरी है.

राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देना होगा. ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ही यह सुनिश्चित होगा कि एसटी, एससी और ओबीसी के लिए तय आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक न हो.

वहीं, रांची में मेयर और अन्य अनुसूचित क्षेत्रों में अध्यक्ष पद गैर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो जाने के कारण भी चुनाव लटका.

इसका आदिवासी संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया था. वहीं, टीएसी ने भी इसे सही नहीं माना. इसके बाद राज्य सरकार ने चुनाव पर आगे निर्णय नहीं लिया.

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