जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
रांची : Hemant Soren के नई सरकार में अकेले शपथ लेने के बड़े गूढ़ हैं सियासी मायने…। मोरहाबादी मैदान में जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के कार्यकारी अध्यक्ष 49 वर्षीय Hemant Soren ने गुरूवार को झारखंड के 14वें सीएम के रूप में शपथ लेकर इतिहास रचा तो अकेले ही इस समारोह में शपथ लेकर सियासी चर्चाओँ को हवा दी।
राजनीतिक हलके में माना जा रहा है कि Hemant Soren के अकेले शपथ लेने के फैसले के सियासी मायने काफी गूढ़ हैं। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
गुलाम अहमद मीर बोले – विश्वास मत के होगा मंत्रिमंडल विस्तार
Hemant Soren ने आज अकेले ही राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और उनके साथ कैबिनेट में किसी अन्य ने शपथ नहीं ली। इससे सियासी हल्के में तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सियासी गलियारे में Hemant Soren के अकेले शपथ लेने को लेकर तमाम सवाल कौंधने लगे हैं।
आखिर ऐसी क्या वजह है कि कैबिनेट के साथ शपथ न लेकर अकेले ही बतौर सीएम Hemant Soren ने शपथ ली? वर्ष 2019 में हेमंत सोरेन ने 3 मंत्रियों के साथ शपथ लिया था और तब कांग्रेस कोटे से 2 मंत्रियों ने भी Hemant Soren के साथ ही शपथ ली थी।
इस मामले की सियासी नजाकत को भांपते हुए तत्काल कांग्रेस महासचिव और झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने बात को संभाला। मीर ने कहा कि – ‘विधानसभा में विश्वास मत के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा’।
Hemant Soren कैबिनेट में इंडिया गठबंधन के दलों की भागीदारी पर मंथन…
झारखंड में इंडिया गठबंधन के भीतर 4 दल शामिल हैं। इस बार चारों दलों के विधायक चुनकर आए हैं। ऐसे में सभी की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना Hemant Soren के लिए माथापच्ची से कम नहीं है।
झारखंड कैबिनेट में कुल 12 पद हैं। इनमें से जेएमएम अकेले 7 पद लेना चाह रही है। इसके लिए पार्टी की तरफ से संख्या को आधार बनाया जा रहा है जबकि कांग्रेस भी पहले की तरह 4 सीटों की मांग पर अड़ी है। साथ ही एक पर माले और एक पर आरजेडी का दावा है। समय न होने की वजह से इस पेंच को अभी नहीं सुलझाया गया है।
कल यानी 29 नवंबर को माले की बैठक प्रस्तावित है। उसमें माले की हिस्सेदारी पर बात फाइनल हो जाएगी। इसी तरह राजद में भी एक मंत्री पद पर फैसला होना है।
Hemant Soren की रणनीति एक साथ सभी मंत्रियों को शपथ दिलाने की, नंबर 2 कोई नहीं…
बताया जा रहा है कि जेएमएम की रणनीति एक साथ सभी मंत्रियों को शपथ दिलाने की है। इसी क्रम में एक खास बात सियासी हल्के में और भी सामने आई है। वह यह कि संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद झारखंड में अब सियासी गुणागणित में तनिक बदलाव हुआ है।
वर्ष 2019 में Hemant Soren की पार्टी को 30 सीटों पर जीत मिली थी और जेएमएम सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से 11 कदम दूर थी और वैसे हालात में तब कांग्रेस किंगमेकर की भूमिका में थी। इस बार वर्ष 2024 में कांग्रेस ने भले ही इस बार भी 16 सीटों पर जीत हासिल की है लेकिन सरकार में वह किंगमेकर की भूमिका में नहीं रह पाई।
34 सीटों पर जीतने वाली जेएमएम राजद और माले के समर्थन से आसानी से सरकार चला सकती है। कहा जा रहा है कि इसलिए भी जेएमएम कांग्रेस को ज्यादा तरजीह नहीं दे रही।
इसी क्रम में एक खास बात और है कि कांग्रेस का प्रयास Hemant Soren कैबिनेट में अपने एक मंत्री को नंबर-2 पोजिशन पर स्थापित करने की रही और उसके लिए डिप्टी सीएम का पद भी मांग चुकी थी लेकिन उसे Hemant Soren ने सिरे से खारिज करके अपनी मंशा साफ कर दी।
सीएम के शपथ ग्रहण को Hemant Soren समारोह का लुक देकर भी जेएमएम ने दिया बड़ा संदेश…
झारखंड में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में इंडिया गठबंधन का बड़ा चेहरा खुद जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष Hemant Soren ही बनकर उभरे हैं। झारखंड का पूरा चुनाव Hemant Soren के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रहा था। Hemant Soren खुद ही अपनी पत्नी कल्पना संग की प्रचार की कमान संभाले हुए थे।
Hemant Soren और उनकी पत्नी कल्पना ने मिलकर पूरे चुनाव में 200 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया। उनके मुकाबले कांग्रेस और आरजेडी के नेता फिसड्डी दिखे। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कुल 10 रैलियां भी झारखंड में नहीं की थीं। दूसरी ओर, Hemant Soren जेएमएम के साथ-साथ सहयोगी पार्टियों के लिए भी रैली कर रहे थे।
भाजपा के निशाने पर भी Hemant Soren ही थे।अब जब जीत मिली तो जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) ने Hemant Soren को ही झारखंड में इडिया गठबंधन को बड़ा चेहरा बताने का स्पष्ट संदेश देने के लिए शपथ ग्रहण को सही मौका पाया।
उसी रणनीति के तहत शपथ-ग्रहण को Hemant Soren समारोह का लुक दिया और अकेले Hemant Soren ने ही सीएम के तौर पर शपथ ली और कैबिनेट में कोई और शामिल नहीं हुआ जबकि इंडिया गठबंधन के तमाम दिग्गज मंच पर ही मौजूद रहे।