छपरा : एशिया का पहला दिव्यांग उदय को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। उदय ने 7800 फीट के भारतीय तिरंगे को लेकर भारत के कंचनजंगा से लेकर अफ्रीका के कलिमन्जारो की चोटी पर लहराकर राष्ट्रपति के हांथों लैंड एडवेंचर में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए तेनजिंग नार्गो राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत हुए हैं। छपरा के जिलाधिकारी अमन समीर से मिलकर उनसे राज्य सरकार के द्वारा मेडल और नौकरी पाओयोजना के तहत नाम नामित करने की मांग की। साथ ही माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने के लिए सरकारी मदद की गुहार लगाई।
बताते चलें कि सारण के बनियापुर प्रखंड के बारोपुर गांव निवासी उदय एक बेहद ही गरीब नाई परिवार में जन्मे और एक ट्रेन दुर्घटना में 2015 में उन्हें अपने एक पैर को गंवाना पड़ा। इसके बाद उदय ने अपने जीवन से निराश न होकर उसे नए तरीके से जीना शुरू किया है। पहले पांच किलोमीटर के मैराथन के बाद के 21 और 31 किलो के कई मैराथन दौड़ में हिस्सा लेकर अपने जज्बा का परिचय दिया।
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वहीं हिमालय माउंटेनिंग कोचिंग में एडमिशन लेकर पर्वत रोहन का प्रशिक्षण लिया। फिर k2k योजना के तहत भारत के कंचनजंगा और अफ्रीका के कलिमन्जारो की चोटी पर 7800 फीट का तिरंगा आजादी के 78वें वर्षगांठ पर लहराया। जिसके लिए उसे राष्ट्रपति के द्वारा लैंड एडवेंचर में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए तेनजिंग नार्गो राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होने के सारण के डीएम से मिल कर अपने साहसिक कार्यो, प्रेरणा और संघर्ष की कहानी सुनाई। डीएम अमन समीर सभी विधि संगत मदद के आश्वाशन भी दिए। जिससे उदय खुश हैं और सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
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