रांची: जैसे ही झारखंड की राजनीति में चुनावी रणभेरी बजी, हटिया की धरती पर खरगोश और कछुए की कहानी फिर से जीवंत हो उठी। चुनावी मैदान में एक तरफ हैं भाजपा के नवीन जायसवाल, जो तीन बार से लगातार विधायक बने हुए हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के अजयनाथ शाहदेव हैं, जो इस बार कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। क्या यह वही कहानी है, जहां खरगोश हमेशा तेज दौड़ता है, लेकिन कछुआ धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से आगे बढ़ता है?
हटिया में जहां 30 उम्मीदवारों ने अपने पर्चे दाखिल किए हैं, वहीं एक अद्भुत प्रतियोगी भी शामिल हुई हैं—ट्रांसजेंडर नगमा रानी। वे राजनीति में कदम रखकर शिक्षा और रोजगार की कमी से जूझते युवाओं का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं। क्या वे इस सियासी दौड़ में नया मोड़ ला पाएंगी? यह देखना दिलचस्प होगा!
खिजरी में पूर्व विधायक रामकुमार पाहन और वर्तमान विधायक राजेश कच्छप के बीच की कड़ी टक्कर भी इस कहानी को और रोमांचक बनाती है। पिछले चुनाव में जो हार हुई थी, क्या वो इस बार पलट जाएगी? यह तो वही जान पाएंगे, जो मतदाता अपने वोट से इतिहास रचेंगे।
कांके की सियासत भी अपने आप में एक दिलचस्प दास्तान है। भाजपा ने जीतू चरण राम को एक बार फिर मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अपने पुराने खिलाड़ी सुरेश बैठा पर भरोसा जताया है। यहां के चुनावी समीकरण भी उस दौड़ की तरह हैं, जिसमें किसी को नहीं पता कि अंत में जीत किसकी होगी—खरगोश की तेज रफ्तार या कछुए की स्थिरता।
मांडर में भी भाजपा ने एक नए चेहरे—सन्नी टोप्पो को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने नेहा तिर्की को फिर से मौका दिया है। क्या सन्नी की मेहनत उन्हें दौड़ में आगे ले जाएगी, या नेहा की पूर्ववर्ती सफलता उन्हें जीत दिलाएगी?
इस सभी सियासी दौड़ में, खरगोस और कछुए की कहानी याद दिलाती है कि कभी-कभी तेज़ी से दौड़ने वाले भी ठोकर खा सकते हैं, जबकि धीरे-धीरे चलते रहने वाले अंत में विजयी हो सकते हैं। अब इंतज़ार है 20 अक्टूबर का, जब यह स्पष्ट होगा कि इस चुनावी दौड़ में जीत किसकी होगी—खरगोश की या कछुए की।
तो, इस बार का चुनाव न केवल वोटिंग की प्रक्रिया है, बल्कि एक अद्भुत प्रतियोगिता है, जहां रणनीति, मेहनत और थोड़ी सी किस्मत सभी कुछ मायने रखती है। चलिए, देखते हैं कि अंत में कौन अपने सर पर ताज सजाता है!