नीति आयोग की बैठक को लेकर इंडिया ब्लॉक में फूट, ये मुख्यमंत्री नहीं करेंगे बहिष्कार

नीति आयोग

Desk. नीति आयोग की बैठक को लेकर इंडिया ब्लॉक में फूट दिख रही है। दरअसल, नीति आयोग की बैठक का इंडिया ब्लॉक के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, केरल के सीएम पिन्नाराय विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब और दिल्ली सरकारों ने बहिष्कार करने की घोषणा की है। लेकिन इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल होंगी। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल होंगे। बता दें कि यह बैठक पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होगी।

नीति आयोग को खत्म करने की मांग

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘नीति आयोग’ को खत्म करने की भी मांग की है और इसकी जगह पुरानी पंचवर्षीय योजना वापस लाने की डिमांड की है। सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि इस नीति आयोग को खत्म करें। यह बैठकें बुलाने के अलावा कुछ नहीं करता। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पूछे जाने पर कि वह अपने कुछ गठबंधन सहयोगियों के विपरीत नीति आयोग की बैठक में क्यों भाग ले रही हैं, जिन्होंने बहिष्कार का फैसला किया है। इस पर ममता बनर्जी ने कहा कि आने की कोई जरूरत नहीं है और मैंने उनके बजट के कारण अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था। लेकिन अभिषेक और अन्य ने मुझे मना लिया और मैंने हेमंत सोरेन से भी बात की, जो आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि समस्या समन्वय की है। हर राज्य की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं, लेकिन मैं संघवाद में विश्वास करता हूं। भाजपा देश को तोड़ना चाहती है। उनके नेता बांटने की बात कर रहे हैं। उन्होंने यह टिप्पणी उत्तर बंगाल पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के बयान का जिक्र करते हुए की थी। दरअसल, केंद्रीय मंत्री मजूमदार ने बुधवार को पीएम मोदी को प्रस्ताव दिया था कि उत्तरी पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ समानता के कारण, क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिक विकास निधि की सुविधा के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत शामिल किया जाए।

उन्होंने कहा कि अगर भाजपा लोगों के फैसले को नहीं सुनती है, तो यह उनकी पसंद है। विपक्ष शासित सभी राज्य वंचित हैं। आप अपने दोस्तों को विशेष पैकेज दे सकते हैं, लेकिन दूसरों को वंचित नहीं कर सकते। ममता बनर्जी ने एक बार फिर एनडीए सरकार के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे यकीन नहीं है कि वे कितने समय तक रहेंगे, लेकिन जब तक वे सत्ता में हैं तब तक उन्हें लोगों के लिए काम करने दें।

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