
थक कर सोना और फिर से चलना ही मेरी फितरत
Munger-लेकिन यह कोई अफसाना नहीं होकर एक दिव्यांग की सच्चाई है-क्या कभी आपने किसी दिव्यांग को यह कहते सुना है कि मुझे कोई परेशानी नहीं है, किसी से मदद की कोई जरुरत नहीं है. सरकार को यह मदद किसी और असहाय और बेबस को करनी चाहिए. मैं तो अपना काम कर लेता हूं. मैं क्यों किसी पार भार बनूं.
लेकिन यह कोई अफसाना नहीं होकर एक दिव्यांग की सच्चाई है
तारापुर प्रखंड के लौना गांव का रहने वाले 13 वर्षीय अभिनंदन कुमार को दोनों पैर नहीं हैं, लेकिन यह उसके सपने की उड़ान को तोड़ने को लिए पर्याप्त नहीं है. आज वह अपने लाठी के सहारे स्कूल भी जाता है, साथ ही घर में अपने पारिवारिक दायित्वों को निर्वाह भी करता है. स्कूल कोचिंग का जुगाड़ भी खुद ही करता है. वह कहता है कि जब वह थक जाता है तो फिर से स्कूल के लिए चल पड़ता हूं.
स्थानीय विधायक राजीव कुमार ने की थी मदद की घोषणा, नहीं मिली मदद
अभिनंदन से जब पूछा गया कि उसे प्रधानमंत्री
और मुख्यमंत्री से किसी तरह की मदद चाहिए तो वो साफ शब्दों में इनकार कर जाता है.
लेकिन वह एक बात कहता है कि उसके स्थानीय विधायक राजीव कुमार सिंह ने
कुछ महीने पहले उसे ट्राय साईकल देने की बात की बात कही थी,
लेकिन वह मदद अब तक नहीं मिली.
अभिनन्दन कहता है कि इस प्रकार की झूठी घोषणाओं से तो अच्छा है
कि मदद की बात ही नहीं की जाय.
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