Jamui का यह गांव अब भी अछूता है बुनियादी सुविधाओं से, अब तक नहीं पहुंची एक भी सरकारी योजना…

जमुई: बिहार और केंद्र में की सरकार डबल इंजन की सरकार होने और विकास की रफ़्तार काफी तेज होने का दावा तो कर रही है लेकिन Jamui में एक ऐसा भी गांव है जहां आज तक विकास नहीं पहुंच पाया। गांव में अब तक न तो बिजली पहुंच पाई और न ही सड़क, इतना ही नहीं गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र की भी व्यवस्था नहीं है। गांव के बच्चे पढने के लिए पगडंडियों के सहारे पैदल चार किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूल में जा कर पढाई करते हैं। यह गांव है Jamui के खुरंडा पंचायत अंतर्गत डहुआ गांव।

डहुआ गांव Jamui जिलांतर्गत झाझा प्रखंड के खुरंडा पंचायत में स्थित हैं। यह गांव झाझा प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर जंगलों के बीच बसा है। यहां आज तक सरकार की योजनाएं नहीं पहुंच सकी है। यह गांव आज भी बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और जल जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां अब तक न तो एक भी स्कूल बना है और न ही स्वास्थ्य केंद्र।

रहती है 400 की आबादी

ग्रामीण गुजा पुझार ने बताया कि गांव में 36 परिवार हैं जिसमें 400 की आबादी रहती है। गांव में अब तक न तो कोई स्कूल बना है न ही स्वास्थ्य केंद्र। गांव के बच्चे पढने के लिए चार किलोमीटर दूर पैदल चल कर घोरापारण के स्कूल जाते हैं जबकि छोटे बच्चे को अभिभावक डर की वजह से स्कूल ही नहीं भेजते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के नाम पर प्राथमिक विद्यालय आवंटित तो है लेकिन जमीन के अभाव में अब तक वह बन नहीं सका है।

बरसात के दिनों में जंगल में बिताते हैं रात

गांव के लोग सड़क के अभाव में पगडंडियों के सहारे चलने को मजबूर हैं। ग्रामीण ने बताया कि मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलना पड़ता है। सड़क नहीं होने से बीमार और गर्भवती महिलाओं को इलाज करवाने में काफी परेशानी होती है क्योंकि गांव में एंबुलेंस नहीं जा पाती है। इतना ही नहीं गांव के बीच में एक नदी है जो बारिश के दौरान भर जाती है और इसके बाद लोग जंगल में रात गुजारने के लिए मजबूर होते हैं। Jamui Jamui 

ढिबरी और लालटेन के सहारे कटती है रात

इस गांव में अब तक बिजली भी नहीं पहुंची है जिसकी वजह से लोग रातों में ढिबरी और लालटेन के सहारे अपनी जिंदगी गुजारते हैं। गांव के कुछ लोगों ने मोबाइल खरीदा है वह भी चार्ज करने के लिए उन्हें घोरापारण या सिमलताला बाजार जाना पड़ता है। गांव में अब तक केंद्र या राज्य सरकार की अन्य कई योजनाएं भी नहीं पहुंची है। गांव के लोगों को नल का जल, प्रधानमंत्री आवास योजना, गली नाली योजना इत्यादि से अब तक वंचित रहना पड़ रहा है।

जनप्रतिनिधि वोट मांगने भी नहीं आते हैं

ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब चुनाव आता है उस वक्त भी जनप्रतिनिधि या उम्मीदवार खुद वोट मांगने नहीं आते हैं। चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों के समर्थक आते हैं और चुनाव बीत जाने के बाद वे लोग भी दर्शन देना मुनासिब नहीं समझते हैं। जब भी ग्रामीण किसी योजना की मांग करते हैं तो जनप्रतिनिधि वन विभाग का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। Jamui  Jamui  Jamui  Jamui 

ग्रामीण आजीविका के लिए करते हैं ये काम

डहुआ गांव के लोग आज भी लकड़ी, पत्तल और दातून बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। शिक्षा का स्तर भी बेहद कमजोर है। पूरे गांव में केवल एक परिवार के पति-पत्नी ने इंटर तक की पढ़ाई की है। शेष लोग केवल हस्ताक्षर करने तक ही पढ़े हैं। ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि वे गांव की स्थिति पर ध्यान दें। बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था की जाए ताकि गांव के लोग भी सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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Jamui से ब्रह्मदेव यादव की रिपोर्ट

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