“बेहतर बिहार संवाद” कार्यक्रम में युवाओं और उद्यमी के सामने रखा विचार, राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने कहा – बिहार को बदलने के लिए युवाओं को बदलना होगा एटीट्यूड
मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के ललित नारायण तिरहुत महाविद्यालय और चैंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में “बेहतर बिहार संवाद” और उद्यमी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने बिहार के युवाओं से सीधा संवाद करते हुए उन्हें प्रदेश के विकास की धारा में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
अपने संबोधन में ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और यह कार्य तब तक संभव नहीं है जब तक बिहार इसमें अग्रणी भूमिका न निभाए। उन्होंने कहा कि बिहार की विशाल युवा आबादी इस परिवर्तन की धुरी बन सकती है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले युवाओं को अपने सोच और दृष्टिकोण को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में बिहार को लेकर नकारात्मक सोच बनी हुई है, जिसे समाप्त करना आवश्यक है।
कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को कोसकर प्रगति नहीं कर सकता, ठीक उसी प्रकार बिहार को दोष देकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। युवाओं को स्पष्ट एजेंडा के साथ आगे आकर नेतृत्व संभालना होगा।
ऋतुराज सिन्हा ने ऐतिहासिक जेपी आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि 1975 में बिहार के युवाओं ने तानाशाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर सत्ता परिवर्तन का बिगुल फूंका था। आज भी बिहार को अगर नई दिशा देनी है, तो युवाओं को वही जोश और जज्बा दिखाना होगा।
उन्होंने कहा कि यदि बिहार के युवा ठान लें और एकजुट होकर काम करें, तो राज्य की तस्वीर बदलने में समय नहीं लगेगा। उन्होंने गरीबी को बिहार की सबसे बड़ी समस्या बताया और कहा कि जब तक किसान और श्रमिकों की आय नहीं बढ़ेगी, तब तक गरीबी दूर नहीं हो सकती। इसके लिए कृषि में सुधार, बटाईदार किसानों को स्थायी रोजगार और तकनीक आधारित खेती की ओर बढ़ना होगा।
रोज़गार के मुद्दे पर बोलते हुए ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि आज हर युवा सरकारी नौकरी की उम्मीद लेकर तैयारी करता है, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है कि सरकार हर किसी को रोजगार दे सके। इस सोच को बदलते हुए युवाओं को नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनने की दिशा में सोचना चाहिए। उन्होंने स्वरोजगार को बेहतर विकल्प बताते हुए कहा कि इसके लिए सरकार को युवाओं को सरल ऋण व्यवस्था उपलब्ध करानी चाहिए, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और दूसरों को भी रोज़गार दे सकें।
उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के युवा 18 वर्ष की उम्र में व्यवसाय शुरू कर देते हैं, जबकि बिहार के युवा उसी उम्र में नौकरी की तैयारी शुरू करते हैं। बिहार को आगे बढ़ाना है तो यह मानसिकता बदलनी होगी।
कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने भी सक्रिय रूप से भागीदारी निभाई और कई महत्वपूर्ण सुझाव रखे। छात्रों ने कृषि में तकनीकी नवाचार, स्वरोजगार के लिए युवाओं को ऋण उपलब्ध कराने की मांग की एवं पर्यटन को बढ़ावा देने पर बल दिया। छात्रों ने न्यूनतम मजदूरी दर बढ़ाकर आम लोगों की आय में सुधार की बात कही। उन्होंने युवाओं के इन सुझावों की सराहना करते हुए कहा कि यह संवाद भविष्य के बिहार की नींव है।
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पटना से अंशु झा की रिपोर्ट