आज खरना का प्रसाद ग्रहण कर व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास का लेंगे संकल्प

आज खरना का प्रसाद ग्रहण कर व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास का लेंगे संकल्प

रांची:  चैत्र माह का चैती छठ रोहिणी नक्षत्र-आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ शुक्रवार को शुरू हो गया है। यह छठ व्रत 15 अप्रैल प्रातः अर्घ्य के बाद पारण से समाप्त होगा।

छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। कार्तिक और चैत्र माह में। छठ व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस व्रत के करने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की प्राप्ति होती है।

ज्योतिष शालिनी वैद्य ने बताया कि 13 अप्रैल यानी शनिवार को खरना के दिन मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग में व्रती पूरे दिन निर्जला रहकर संध्या में गुड़ और दूध के बने खीर से खरना पूजा करेंगे और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगे। रविवार को आर्द्रा नक्षत्र में व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे।

15 अप्रैल पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पारण कर चार दिवसीय छठ महापर्व को पूर्ण करेंगे। इधर, शुक्रवार को छठ व्रतियों ने इस दिन सात्विक भोजन किया, ताकि वो अपने तन और मन दोनों को शुद्ध रख सकें। नहाय- खाय में अरवा चावल-कद्दू, चना दाल और चना दाल से बनी हुई चीजें खाईं।

ये भोजन शुद्ध देसी घी से तैयार किया गया। इसे सिर्फ हल्दी, सेंधा नमक के साथ पकाया गया। ज्योतिष ने बताया कि लौकी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है। व्रत में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाता है।

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