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Sunday, October 5, 2025

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टीएसपीसी के एरिया कमांडर राहुल गंझू ने पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

रांची. झारखंड को नक्सल मुक्त प्रदेश बनाने के लिए अभियान जारी है। इसी कड़ी में आज टीएसपीसी उग्रवादी संगठन के एरिया कमाण्डर राहुल गंझू उर्फ खलील जी (पिता गणेश गंझू सा० सीरम थाना बुढ़मू जिला रांची) रांची पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त प्रयास से आत्मसमर्पण किया हैं। पुलिस के अनुसार, पुलिस द्वारा लगातार चलाये जा रहे अभियान, पुलिस की बढ़ती दबिश एवं संगठन के आंतरिक शोषण से क्षुब्ध होकर तथा झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उन्होंने आत्मसमर्पण किया है।

टीएसपीसी के एरिया कमांडर राहुल गंझू का सरेंडर

झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने के लिए झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ एवं झारखंड जगुआर द्वारा सभी नक्सली संगठनो के खिलाफ लगातार कार्रवाई में की जा रही है। इस दिशा में पुलिस को नक्सली संगठनों के विरूद्ध निरंतर सफलताएं मिल रही है। झारखंड को पूरी तरह से नक्सल मुक्त करने हेतु भटके नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए झारखण्ड सरकार की आत्मसमर्पण नीति नई दिशा के अन्तर्गत कार्य कर रही है, जिसका परिणाम काफी सकारात्मक रहा है। फलस्वरूप अब तक भाकपा माओवादी, टीएसपीसी, पीएलएफआई सहित अन्य कई प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के बड़े इनामी नक्सली से लेकर दस्ता सदस्य तक झारखंड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

राहुल गंझू उर्फ खलील जी पिता गणेश गंझू माता चमेली देवी सा० सीरम थाना बुड़मू जिला रांची का रहने वाला है। राहुल गंझू उर्फ खलिल का प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही राजीव गांधी हाई स्कूल से नवी कक्षा तक हुआ। गांव के आस-पास जंगली क्षेत्र होने के कारण टीएसपीसी संगठन के नक्सलियों का आना-जाना लगा रहता था। उसी समय इनकी जान पहचान नक्सली सागर गंझू तथा जगु उर्फ जागेश्वर गंझू एवं उनके दस्ता सदस्यों से हुई। किशुन गंझू के कहने पर वर्ष 2016 में टीएसपीसी संगठन में शामिल हुआ।

वर्ष 2019 में जोनल कमाण्डर जगु उर्फ जागेश्वर गंझू पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उसके बाद सबजोनल कमाण्डर रामेश्वर महतो उर्फ पहाड़ी ग्राम-डमारू जिला हजारीबाग को टीम का कमाण्डर बनाया गया। उस समय टीम में कियावादी के अलावा रामेश्वर महतो उर्फ पहाड़ी, दिनेशजी, मनोज मुण्डा, अर्जुन मुण्डा, अशोक गंझू, संतोष गंझू, विकम गंझू एवं जितेन्द्र गंझू थे। रामेश्वर महतो उर्फ पहाड़ी जी के कहने पर कियावादी को 01 वर्ष संगठन में रहने के उपरान्त वर्ष 2017 में 315 बोर राईफल दिया गया। वर्ष 2020 में इन्हें एरिया कमाण्डर बना दिया गया। साथ ही एके-47 राईफल दी गयी।

कियावादी को उमेडण्डा, बुढ़मू, खेलारी, चान्हों, माण्डर, रातु इलाके की जिम्मेदारी सौपी गई। इन्हें इलाके में चल रहे सरकारी कार्य में ठीकेदारों से लेवी लेने का मुख्य कार्य सौपा गया। कियावादी को पुलिस ने दिनांक 20.12.2021 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। वर्ष 2023 में होटवार जेल रांची से बाहर निकलने के बाद सबजोनल कमाण्डर रामेश्वर महतो उर्फ पहाड़ी से मिला एवं पार्टी में पुनः सम्मिलित हो गया तथा पार्टी का काम करने लगा।

फरवरी 2024 में अपने दस्ता के साथ एचपी पेट्रोल पम्प चकमे थाना बुड़मू के मालिक को धमकी दी एवं फायरिंग भी की। जनवरी 2024 में फ्लाई ओवर निर्माण रातु जिला रांची के ठिकेदार को लेवी हेतु धमकी दी। फरवरी 2024 में जन प्रतिनिधि मोहन जयसवाल सा० उमेडण्डा थाना बुड़मू जिला रांची को लेवी के लिए धमकी दी। वर्ष 2023-24 में बुड़मू खलारी, छापर, माण्डर जिला रांची के जमीन कारोबारियों ईट, भट्ठा बालु खनन, ठिकेदारों को लेवी के लिए धमकी दी। मई 2024 में सीरम के जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ में शामिल था।

कियावादी राहुल गंझू ने बताया कि टीएसपीसी संगठन शोषण एवं लेवी वसूली की पार्टी हो गई है। टीएसपीसी संगठन के शीर्ष नक्सली कमाण्डर नीचे के कमाण्डरों का शोषण एवं सिद्धान्त के विपरित कार्य करने एवं ईलाकों के ग्रामीणों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित करने हेतु दबाव बनाने का निर्देश देते हैं। नक्सलियों द्वारा की जा रही ग्रामीणों की प्रताड़ना से क्षुब्ध होकर परिवार के साथ रहकर सामान्य जीवन जीने के लिए पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर रहे हैं और ये अपने अन्य नक्सली साथियों से अपील की है कि वे लोग भी झारखण्ड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ लेकर हथियार डालें एवं पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दें। ये पुलिस द्वारा की गई पहल एवं झारखंड सरकार के पुर्नवास / आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण किया है।

वहीं पुलिस का कहना है कि इनके आत्मसमर्पण से झारखण्ड पुलिस की हौसला बुलंद हुई है साथ ही सरकार की आत्मसमर्पण नीति भी सार्थक साबित हो रही है। हाल ही में झारखण्ड सरकार द्वारा नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति को और अधिक लचीला बनाया गया है, जिसके तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को ओपन जेल में रखने का प्रावधान किया गया है। नक्सली राहुल गंझू उर्फ खलिलजी झारखण्ड पुलिस के लिए लगातार चुनौती बना हुआ था। इनके आत्मसमर्पण से टीएसपीसी संगठन को बड़ा झटका लगा है एवं संगठन काफी कमजोर हुआ है।

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