रांची: पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को झारखंड आंदोलनकारी चंपाई सोरेन के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चंपाई सोरेन पर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, वह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
मुंडा ने चंपाई सोरेन के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के संदर्भ में कहा कि, “भले ही यह झामुमो का अपना मामला हो, लेकिन अब जो बातें चंपाई सोरेन के बारे में कही जा रही हैं, वह निराशाजनक हैं। चंपाई हमारे राजनीतिक यात्रा के वरिष्ठ सहयोगी रहे हैं। जब झारखंड की अलग पहचान की बात करने वाले लोग बहुत कम थे, तब उन्होंने दूरदराज के गांवों में जाकर लोगों को संगठित किया और आंदोलन को मजबूती दी।”
उन्होंने टिप्पणी की कि, “चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि कुर्सी के लिए रिश्ते, संगठन और आदिवासियों की भावना का कोई महत्व नहीं रह गया है। अगर आदिवासियों के हित में चिंता होती, तो उन्हें चुनाव तक मुख्यमंत्री रहने दिया जाता। इस प्रकार के बयान और आरोप आंदोलनकारियों को ठेस पहुंचाते हैं।”
अर्जुन मुंडा ने झारखंड आंदोलनकारी आयोग की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि आयोग का उद्देश्य आंदोलनकारियों को सम्मान देना और निष्पक्षता के साथ काम करना था। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस आयोग की कोई दलीय दृष्टि नहीं थी।
उन्होंने रांची में जनजातीय समाज की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। मुंडा ने कहा कि सामाजिक संगठनों द्वारा की गई टिप्पणियों के बावजूद रांची में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जनजातीय समाज अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है और सरकारी तंत्र की मिलीभगत की सूचना भी मिल रही है, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर मुंडा ने कहा कि वे इस बारे में अनभिज्ञ हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन का दावा किया।