शिक्षा विभाग के अपर मुख्य निदेशक के के पाठक के सख्त रवैये से परेशान हो कर अब बिहार के विश्वविद्यालयों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विश्वविद्यालयों ने पद का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है और विश्वविद्यालयों के खाते, वेतन समेत अन्य बंदिशों को खत्म करने की बात कही गई है। मामले में मगध विश्वविद्यालय ने पटना हाई कोर्ट में मुख्य शिक्षा सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, निदेशक और उपनिदेशक को वादी बनाते हुए रिट याचिका दायर की है।
मगध विश्वविद्यालय ने अपने रिट याचिका में हाई कोर्ट से बैंक खातों के संचालन के रोक को खत्म करने की गुहार लगाई है। मगध विश्वविद्यालय की तरफ से हाई कोर्ट में दायर रिट याचिका में कहा गया है कि शिक्षा विभाग के द्वारा बैंक खातों पर लगाई गई रोक से शिक्षक और अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। पेंशन धारकों का पेंशन रुका हुआ है। सैकड़ों पेंशनधारियों का फोन आता है कि इलाज करवाना है लेकिन हमलोग मजबूर हैं।
विश्वविद्यालय का सभी वित्तीय कार्य रुका हुआ है। विश्वविद्यालय का न तो इनकम टैक्स जमा हुआ है और न ही जीएसटी, जिसकी वजह से विश्वविद्यालय के ऊपर पेनाल्टी भी लगना तय है। वहीं जेपी विश्वविद्यालय छपरा ने भी उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी को पत्र लिखा है और कहा कि राज्यपाल व कुलाधिपति के निर्देश पर बैठक में शामिल नहीं होने से कर्मियों का वेतन रोक दिया गया, बैंक खातों पर रोक लगा दी गई।
अंकेक्षक दल भेज कर डराना, प्राथमिकी दर्ज करवाने का एकपक्षीय आदेश अवैध है। यह पद और शक्ति का दुरूपयोग है। इसके साथ ही पत्र में विश्वविद्यालय ने लिखा है कि बैंक खाता के संचालन पर रोक लगाए जाने से परीक्षा और शैक्षणिक कार्य बाधित हुआ है। शिक्षकों को पर्व के दौरान भी वेतन नहीं दिया गया। आयकर और जीएसटी नहीं जमा होने से विश्वविद्यालय पर पेनाल्टी लगना तय है। काम करवा कर वेतन नहीं देना जीवन यापन के मुलभुत अधिकार का उल्लंघन है।
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