वाराणसी / प्रयागराज : यूपी में बनेगा वाराणसी -प्रयागराज समेत 7 जिलों का नया धार्मिक क्षेत्र, काम में जुटी योगी सरकार। यूपी में विकास और अर्थव्यवस्था को तेजी समुन्नत बनाने की दिशा में योगी सरकार एक खास काम में गंभीरता से जुटी है। वह काम है – वाराणसी और प्रयागरात समेत पूर्वांचल के 7 जिलों को मिलाकर विशाल कॉरीडोर सरीखा यूपी में नया धार्मिक क्षेत्र तैयार करना।
इसके लिए बाकायदा काम शुरू कर दिया गया है। इस संबंधी योगी सरकार की ओर से विशेष प्राधिकरण का गठन करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई जो पूरी परियोजना को न केवल मूर्त रूप देकर साकार करेगा बल्कि उसकी सतत व्यवस्थापना में जुटेगा। बताया जा रहा है कि नीति आयोग के सुझाव के आधार पर ही यूपी सरकार के आवास विभाग ने इस प्राधिकरण के लिए प्रस्ताव या मसौदा तैयार किया है।
22.8 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला होगा वाराणसी -प्रयागराज धार्मिक क्षेत्र
नीती आयोग के सुझाव पर तैयार मसौदा या प्रस्ताव में वाराणसी -प्रयागराज समेत 7 जिलों का नया धार्मिक क्षेत्र को लेकर कई अहम बिंदुओं का खास ध्यान रखा है। प्रस्ताव में इसका विशेष जिक्र है। इस प्रस्ताव में बनने वाले नए धार्मिक क्षेत्र या कॉरीडोर को लेकर चार विकास केंद्रों का जिक्र किया गया है। नीति आयोग द्वारा तैयार विस्तृत रिपोर्ट में वाराणसी एक प्रमुख केंद्र है।
तैयार प्रस्तावना में वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्रीय प्राधिकरण गठन की संस्तुति की गई है। इसी क्रम में वाराणसी-प्रयागराज आर्थिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 22.8 अरब डॉलर और जनसंख्या 2.37 करोड़ से ज्यादा है। आकलन है कि नया क्षेत्र बनने से आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेगी और रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस मसौदे या प्रस्ताव का खुद CM Yogi आदित्यनाथ ने गंभीरता से अवलोकन करने के बाद इसकी संस्तुति कर चुके हैं। CM Yogi के सामने इस प्रस्ताव के प्रस्तुतीकरण के बाद अब वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका है।


वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए यूपी का नया धार्मिक क्षेत्र अहम
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नीति आयोग ने वर्ष 2047 तक भारत को 30 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यूपी के संदर्भ में जो खाका तैयार किया है, उसमें आयोग ने प्रदेश में कई क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों के गठन का सुझाव दिया है। उसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने पहले चरण में वाराणसी और प्रयागराज के धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए एक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का गठन करने का फैसला किया है।
बताया जा रहा है कि यूपी के नए धार्मिक क्षेत्र प्रस्तुतीकरण देखने के बाद CM Yogi आदित्यनाथ ने आवास विभाग को सुझाव दिया है कि इसे विकसित करने के लिए ऐसी योजनाएं बनाएं जिसका फायदा यहां के निवासी और युवा ज्यादा से ज्यादा उठा सकें। इसके अंतर्गत शहरों को ग्रोथ हब के रूप में योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने का प्रस्ताव है।


नए बनने वाले वाराणसी -प्रयागराज धार्मिक क्षेत्र के तैयार हो रहे खाका के मुख्य बिंदुओं को जानें…
उत्तर प्रदेश में वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर बनने वाले नए धार्मिक क्षेत्र में दोनों शहरों को मिलाकर 7 जिले शामिल होंगे। इसका दायरा 22 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार के स्तर पर वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया जारी है।
इसमें शामिल किए जा रहे कुल 7 जिलों में वाराणसी और प्रयागराज के अलावा चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मिर्जापुर और भदोही (संत कबीर नगर) शामिल हैं। इसका विकास धार्मिक विकास क्षेत्र के तौर पर किया जाएगा। यह विकास क्षेत्र जहां अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा। वहीं, औद्योगिक क्षेत्र और नॉलेज पार्क की व्यवस्था भी की जाएगी।
साथ ही इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के भी बड़े अवसर उपलब्ध होंगे। कहा जा रहा है कि नई धार्मिक नगरी का फायदा काशी और प्रयागराज सहित सभी सात जिलों को मिलेगा। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, कालभैरव मंदिर और सारनाथ हैं। गाजीपुर में गंगा उत्तराहिनी हैं। प्रयागराज में संगम होने के साथ ही पूरा धार्मिक क्षेत्र है।
यही वजह है कि वाराणसी प्रयागराज क्षेत्र बनने से धार्मिक उद्योग और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यूपी के मुख्य सचिव मनोज सिंह इस बारे में कहते हैं कि – प्राधिकरणों का गठन जरूरी है। इसी क्रम में वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। कुछ संशोधन के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
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