Patratu– 5 किलो राशन- महिला-पुरुष का यह झुंड,
Highlights
स्कूली बच्चों की यह टोली और छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर जाती
ये महिलाएं किसी मेला में नहीं जा रही है और ना ही इनका इरादा किसी सगे संबधियों के पास जाने की है.
दरअसल ये अभागे लोग पांच किलो राशन के लिए 30 किलो मीटर के सफर पर निकले हैं.
5 किलो राशन की यह कहानी है पतरातू प्रखंड के वीचा पंचायत की
यह दृश्य है पतरातू प्रखंड के वीचा पंचायत का.
आजादी के इस अमृत वर्ष में इनके पंचायत में बीएसएनएल का नेटवर्क नहीं है
और बगैर नेटवर्क के राशन का भुगतान नहीं हो सकता,
सरकार कहती है राशन का ऑफलाईन वितरण से लीकेज का खतरा है,
राशन लूट की आशंका है, सरकार इस लीकेज को हर कीमत पर रोकना चाहती है.
किसी को इसमें आपत्ति हो भी नहीं सकती, पर तब क्या कहा जाय,
जब इन अभागों को महज पांच किलो राशन के लिए छोटे छोटे बच्चों को गोद में लेकर
30 किलोमीटर का सफर करना पड़ें.
बीएसएनएल का टावर नहीं होने के कारण नहीं होता राशन का वितरण
बतलाया जा रहा है कि सुथरपुर में बीएसएनएल का टावर नहीं रहने के कारण
ग्रामीणों को 15 किलोमीटर दूर जाकर राशन लेना पड़ता है.
15 किलोमीटर जाने और 15 किलोमीटर आने में कुल मिलाकर 30 किलोमीटर की सफर
पर निकली ये महिलाएं का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या पेट की है.
आखिर किसी भी हालत में पेट तो पालना है.
यही कारण है कि हम पांच किलो इस राशन के लिए 30 किलोमीटर का सफर करने का बाध्य हैं.
30 किलोमीटर के सफर के बाद भी राशन मिलने की गारन्टी नहीं
उससे भी बड़ी पीड़ा यह है कि इस 30 किलोमीटर का सफर के बाद भी आपको राशन मिल जाय,
इसकी कोई गारन्टी नहीं है. अंगूठा लगाने में दो दो दिन का समय लग जाता है,
आपाधापी मची रहती है, सुवह से शाम तक इंतजार के बाद किसी दूसरे दिन आने की सलाह दी जाती है,
तब हड्डी कांप जाता है.
लेकिन इनके दुख यहीं खत्म नहीं होता, इनकी शिकायत है कि
इनको राशन पत्थर से तौल कर दिया जाता है. कहने का मतलब है कि वजन सही नहीं दिया जाता.
सरकार भले ही लीकेज को खत्म करने की बात करती हो,
लेकिन यहां तो लीकेज का जुगाड़ कर लिया गया.
रामगढ़,मुकेश सिंह
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