पटना: नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए है इसको लेकर चिराग पासवान ने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी का विरोध करते करते बिहार और बिहारियों का भी विरोध करने लगे हैं.
नीति आयोग की एक महत्वपूर्ण बैठक जहां पर जाकर मुख्यमंत्री बिहार और बिहारियों के लिए तमाम तरीके की सुविधाओं और व्यवस्थाओं और केंद्र सरकार और बिहार सरकार के तालमेल को लेकर तमाम तरीके के प्रस्तावों को लेकर वहां पर रखते. बार-बार मुख्यमंत्री चुनाव जब आते हैं तब झुनझुना दिखाते हैं विशेष राज्य के दर्जे की मांग का नीति आयोग की बैठक में एक अधिकृत मंच है जहां नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर सकते हैं पर इतनी महत्वपूर्ण बैठक का बहिष्कार करना बहिष्कार करने की एक परंपरा शुरू हो गई है.
ये भारतीय लोकतंत्र के लिए कहीं से उचित नहीं है भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती ही यही है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष तमाम मतभेदों के बावजूद जब देश और प्रदेश की बात आती है तो एक साथ और एक मंच पर आकर चर्चा करते हैं. नीति आयोग की बैठक भी एक ऐसा ही मंच है जहां पर आप आकर चर्चा कर सकते हैं. विचार विमर्श कर सकते हैं अपने मतभेद होने के बावजूद प्रदेश की हित को लेकर बात रख सकते हैं पर ऐसी बैठक का बहिष्कार करना दिखाता है कि मुख्यमंत्री सिर्फ व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को प्राथमिकता देते हैं.
अगर उनका व्यक्तिगत द्वेष किसी से है तो वह देश इतना बड़ा हो जाता है. कि वह बिहार और बिहारियों के सरोकार के लिए भी ऐसी बैठक में जाना जरूरी नहीं समझते हैं लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास पूरी तरह से निंदा करती है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बैठक में नहीं जाने को लेकर इस बैठक में जाने से बिहार और बिहारियों को कई लाभ मिल सकते थे. जिसको कि मुख्यमंत्री ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की भेंट चढ़ा दी है नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार तमाम विपक्षी दल कर रही है इसको लेकर चिराग पासवान ने कहा कि इस बात का बहिष्कार कर रहे हैं .
यह बहस ही क्यों हो रही है एक नए पड़ाव की ओर भारतीय राजनीति बढ़ने का काम कर रही है. भारत को एक नई संसद में ले जा रही है और लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी और यह मांग भाजपा या एनडीए नहीं कर रही थी मैं भी दूसरी बार सांसद बना हूं 2014 में b.a. मांग उठ रही थी.
मेरे पिताजी से प्रधानमंत्री के साथ बतौर केंद्रीय मंत्री काम कर चुके हैं और उस वक्त भी यह मांग उठ रही थी. यूपीए की सरकार में भी है मांग उठी थी कि मौजूदा संसद में संभव नहीं है आधुनिक प्रणालियों को धरातल पर उतारना है ऐसे में एक नई संसद की जरूरत थी. इसके बाद आप आज विरोध कर रहे हैं जब नई संसद आपको मिलने जा रही है. एक आधुनिक तौर-तरीके से नई भारत को नई संसद जब मिलने जा रही है तो फिर विरोध क्यों कर रहे हैं. आप व्यक्ति विशेष का विरोध करते-करते संस्थाओं का भी विरोध करने लग जाते हैं नीतीश कुमार ने कहा नए भवन के निर्माण की आवश्यकता नहीं थी इसको लेकर चिराग ने कहा आज नीतीश कुमार को याद आ रहा है जब खुद यह बिहार विधानमंडल के विस्तारीकरण को करने गए थे.
उस वक्त वो राजपाल को भूल गए थे उस वक्त महामहिम राज्यपाल नीतीश कुमार को याद नहीं आ रहे थे 2016 में उन्होंने बिहार विधानमंडल का उद्घाटन किया गया था 19 नवंबर को उद्घाटन किया गया था उस वक्त कहां गए थे राज्यपाल मुझे बताएं देश के जितने विपक्षी दल या विपक्षी पार्टियां है वह स्वीकार करें कि उन सब ने भी गलतियां की है आज अगर प्रधानमंत्री के उद्घाटन को लेकर इतनी चिंता है तो कहां है वह विपक्षी दल वह विपक्षी पार्टी जिन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के नाम पर हजारों योजनाएं बनाई उनके नाम पर भवन बनाई सड़के बनाई तमाम राष्ट्रपतियों को दरकिनार करते हुए वह स्वीकार करें कि उनसे तब गलती हुई थी वह गलती आज हो रही है.
आज के दिनों में जब सकारात्मक ऊर्जा देने की जरूरत है नकारात्मक राजनीति कब तक विपक्ष करेगा एक नई शुरुआत करें सकारात्मक राजनीति की नई संसद में बढ़ाओ है भारतीय राजनीति में और ऐसे में सिर्फ एक व्यक्ति विशेष का विरोध करना है आप तमाम संस्थाओं का विपक्ष विरोध करने लग गया है यह गलत है मुख्यमंत्री जवाब दें क्यों उन्होंने राज्यपाल को नहीं बुलाया जब वह बिहार विधानमंडल का उद्घाटन कर रहे थे.
आज वह अपनी गलती स्वीकार करें तभी उनका विरोध करना जायज होगा अगर बहिष्कार ही करना है तो पूर्ण बहिष्कार कीजिए अपने तमाम सांसदों को बोलिए कि इस्तीफा दे दें उसके बाद जो नया सत्र चलेगा तो उन्हें संसद भवन नहीं चलेगा तो मुख्यमंत्री बोले कि हम अपने 16 सांसदों को इस्तीफा देने के लिए बोल रहे हैं आप जाइएगा भी रहिएगा भी और सिर्फ दिखावे के लिए विरोध की जगह खाने के दांत और और दिखाने के कुछ और यह पूर्णता दिखावा है.