रांची : कुछ रहस्य ऐसे होते हैं जो जितना खुलते हैं, उतना ही उलझते जाते हैं। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की प्रतिष्ठित स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) का पेपर लीक मामला अब महज़ एक राज्य की परीक्षा से जुड़ी धोखाधड़ी नहीं रहा, यह एक ऐसा रहस्य बन चुका है जो कई शहरों की गलियों, फ्लैटों और रेलवे कार्यालयों तक फैला हुआ है।
अब इस रहस्य की दो नई कड़ियाँ सामने आई हैं — विनय शाह और अनीश। दोनों नाम पहले कभी जांच एजेंसियों की नज़रों में नहीं आए थे, लेकिन अब CID इन दोनों की एक झलक पाने को बेताब है। क्यों? यही सवाल इस पूरे घोटाले की सबसे डरावनी सच्चाई के करीब ले जाता है।
कड़ी-दर-कड़ी खुलता रहस्य
22 मई, 2025 — CID के हाथ कुछ ऐसा सुराग लगा, जिससे पूरी जांच की दिशा ही बदल गई। मास्टरमाइंड कहे जा रहे संदीप त्रिपाठी उर्फ शशिभूषण और बनारस के मनोज कुमार की रिमांड पर पूछताछ के दौरान दो अनजाने नाम सामने आए — विनय शाह और अनीश।
पहली नज़र में ये नाम आम लग सकते हैं, पर जांच आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि विनय शाह रेलवे में इंजीनियर है और गोरखपुर में पोस्टेड है, जबकि अनीश कोलकाता और आसनसोल के बीच घूमता एक रहस्यमय युवक है, जिसका कोई स्थायी ठिकाना नहीं। लेकिन इन दोनों की मौजूदगी ने इस घोटाले के पीछे की गहराई को और भी रहस्यमयी बना दिया।
CID का पीछा: एक गायब इंजीनियर और छिपा बैठा युवक
सीआईडी की एक टीम जब गोरखपुर में विनय शाह के सरकारी आवास पर पहुंची, तो वहाँ से एक चौंकाने वाली खबर मिली — “वह एक महीने की छुट्टी पर हैं… और तब से लापता हैं।” CID ने उसके ऑफिस और पत्नी को नोटिस भेज दिया, लेकिन अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिला।
दूसरी ओर, कोलकाता में अनीश के फ्लैट पर दस्तक दी गई। दरवाज़ा खुला, लेकिन घर खाली था। पड़ोसियों ने बताया — “दस दिनों से कोई हलचल नहीं दिखी।” अनीश की साली और सोसायटी सेक्रेटरी को नोटिस थमाया गया, लेकिन CID को अनीश नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार, वह अब आसनसोल के नियामतपुर में कहीं छिपा हो सकता है।
13 नाम, 2 चार्जशीट और अब भी बाकी है असली साज़िश
अब तक CID ने दो चार्जशीट दाखिल की हैं। नाम सामने आए हैं — संदीप त्रिपाठी, मनोज कुमार, निलंबित IRB जवान कुंदन कुमार, रामनिवास राय, निवास राय, कविराज उर्फ मोटू, रॉबिन, विवेक, अखिलेश, कृष्णा स्नेही, और अन्य।
चार्जशीट में लिखा गया है कि कैसे लाखों रुपये लिए गए — एक प्रश्न पत्र के एवज में। IRB जवान एजेंट बने, अभ्यर्थी ग्राहक और पूरे खेल की डोर पकड़े थे ये मास्टरमाइंड।
लेकिन अब बड़ा सवाल यह है — क्या ये मास्टरमाइंड असली हैं? या फिर पर्दे के पीछे कोई और खेल खेल रहा है?
अगला कदम: वारंट और हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट
सीआईडी का दावा है कि दोनों फरार युवकों — विनय और अनीश — के खिलाफ जल्द वारंट जारी कराया जाएगा। साथ ही, झारखंड हाईकोर्ट में जांच की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की जाएगी।
लेकिन जांच से जुड़ा सबसे चौंकाने वाला बयान यह है —
“अब तक पेपर लीक का प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है।”
तो क्या पूरा मामला सिर्फ पैसों के लेन-देन और अफवाहों का है? या फिर असली सबूत अब भी कहीं तिजोरी में बंद है, किसी कंप्यूटर के कोने में छिपा या किसी शातिर दिमाग में कैद?
परीक्षा दे चुके हजारों अभ्यर्थी आज सोशल मीडिया पर सिर्फ एक सवाल पूछ रहे हैं — “क्या हमारा परिणाम अब भी लीक की साजिश का बंधक बना है?”
झारखंड में शिक्षा और पारदर्शिता को लेकर यह मामला एक अग्निपरीक्षा बन चुका है। और शायद यही कारण है कि हर कोई अब बस एक जवाब चाहता है —
“विनय शाह और अनीश आखिर हैं कौन? और वे इस रहस्य में कितनी गहराई तक जुड़े हैं?”
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