उदय शंकर, पॉलिटिकल एडिटर
- चाईबासा में कोड़ा संग मजबूती से हो वोटर
- लोहरदगा में सुखदेव या चमरा किससे लड़ेंगे समीर उरांव
रांची: झारखंड में लोकसभा की सीेटों को लेकर फंसा पेंच अभी भी सुलझने का नाम नहीं ले रहा, आलम ये है की पहले फेज में ही चुनाव होने वाले जिस चाईबासा सीट को काग्रेंस का गढ़ माना जाता रहा, उस सीट पर अब गीता कोड़ा के जाने के बाद ये तक तय नहीं हो पाया है की सीट पर काग्रेंस उम्मीदवार देगी या फिर जेएमएम चुनाव लड़ेगी।
जेएमएम से मंत्री दीपक बिरूआ और जेएमएम से पूर्व विधायक सुखराम उरांव का नाम सामने आ रहा है, लेकिन अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पा रहा की आखिर उम्मीदवार कौन होगा, ऐसे में जहां गीता कोड़ा अपने पति मधु कोड़ा को साथ लेकर महीने भर पहले से ही चुनाव प्रचार में उतर चुकी है, वहीं दूसरी तरफ मौन है।
वोटों के अंतर को देखा जाए तो पिछली बार गीता कोड़ा को जहां 4 लाख 31 हजार 815 वोट मिले थे, वहीं बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा को भी 3 लाख 59 हजार 660 वोट मिले थे, यानी गीता कोड़ा को 72 हजार 155 वोटों से जीत हासिल हुई थी, उसपर से गौर करने वाली बात ये है की गीता कोड़ा हो समुदाय से आती है, और हो समुदाय का वोट बैंक शुरू से ही काफी मजबूती के साथ मधु कोड़ा और गीता कोड़ा के साथ इंटैक्ट रहता आया है, लेकिन चुनौती इतनी बड़ी होने के बाद भी कांग्रेस जेमएमएम खेमे की उहापोह सभी को हैरान कर रही है।
कुछ ऐसा ही हाल झारखंड में पहले फेज में ही चुनाव हो रहे लोहरदगा में भी देखने को मिल रहा, जहां वर्तमान सांसद सुदर्शन भगत तीन बार चुनाव जीत सांसद रह चुके है, लेकिन पिछली बार सुदर्शन भगत और कांग्रेस के सुखदेव भगत के बीच हार जीत का अंतर महज 10 हजार 363 वोटों का था, जिसे देखते हुये बीजेपी ने इस बार प्रत्याशी बदलते हुये समीर उरांव को प्रत्याशी बना दिया है।
इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सुदर्शन भगत ने सिर्फ 6 हजार 489 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी, सबसे बड़ी बात ये है की लोहरदगा में 5 विधानसभाऐं आती हैं, और सभी पर वर्तमान में जेएमएम और कांग्रेस का कब्जा है।
मांडर से काग्रेंस की शिल्पी नेहा तिर्की तो सिसई से जेएमएम के जिगा सुसारन होरो, गुमला से भी जेएमएम के भूषण तिर्की, और विशुनपुर से भी जेएमएम के चमरा लिंडा विधायक है, तो लोहरदगा से कांग्रेस के वर्तमान वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव विधायक है।
ऐसे में बीजेपी के समीर उरांव के सामने इस सीट को जीतने की बड़ी चुनौती है, समीकरणों को देखकर कहा जा सकता है की जेएमएम और कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में हैं, इसके बावजूद काग्रेंस प्रत्याशी के तौर पर अभी तक सुखदेव भगत के नाम को कंफर्म नहीं किया गया है।
वहीं जेएमएम से चमरा लिंडा को भी दावेदार बताया जा रहा है, आपको बता दें की चमरा लिंडा वहां से तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और 2014 के चुनाव में तृणमूल के टिकट पर लड़ते हुये 1 लाख 18 हजार वोट लाकर कांग्रेस उम्मीदवार के समीकरण बिगाड़ चुके हैं, इस बार भी अगर चमरा मैदान में उतरते है तो कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत के लिये राहें आसान नहीं होगी, लेकिन इन सबके बावजूद काग्रेंस जेएमएम की तरफ से आपस में मशविरा नहीं कर प्रत्याशी देने में इतनी देर करना कही ना कही चौंका रहा है।
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