आज हम बात करेंगे बिहार की बांका लोकसभा सीट की. बांका लोकसभा सीट में चुनाव दूसरे फेज में 26 अप्रैल को होंगे. दूसरे फेज में बिहार के सीमांचल के जिलों में चुनाव होने हैं इसमें पूर्णिया, कटिहार,किशनगंज, भागलपुर और बांका की सीटें शामिल हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में बांका में जदयू और राजद के बीच मुकाबला होने वाला है. जदयू ने मौजूदा सांसद गिरिधारी यादव को टिकट दिया है, वहीं इंडिया गठबंधन ने भी पिछले प्रत्याशी राजद के जयप्रकाश यादव को मैदान में उतारा है.
बांका लोकसभा में विधानसभा की 6 सीटें आती है. इसमें सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया, बांका,कटोरिया और बेलहर है.यहां 3 सीटें जदयू के पास है, 2 सीटें बीजेपी और 1 सीट राजद के पास है.
सुल्तानगंज में ललित नारायण मंडल जदयू से विधायक है,अमरपुर से जयंत राज कुशवाहा भी जदयू से विधायक है, धोरैया में राजद से भूदेव चौधरी विधायक है, बांका में रामनारायण मंडल बीजेपी के विधायक हैं, कटोरिया एसटी आरक्षित सीट है यहां से निक्की हेंब्रोम बीजेपी की विधायक हैं वहीं बेलहर में जदयू विधायक मनोज यादव हैं.
बांका लोकसभा सीट की जातीय समीकरण पर गौर करें तो इस सीट में यादव और राजपूत वोटर्स की संख्या अधिक है, इसके अलावा ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के वोटर्स भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
बांका लोकसभा सीट :
अब एक नजर बांका लोकसभा सीट के इतिहास पर , बांका लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आया और कांग्रेस ने यहां 7 बार अपना परचम लहराया.
1957 और 1962 के चुनाव में शकुंतला देवी ने कांग्रेस के टिकट से लगातार दो बार जीत दर्ज की.
1967 में बांका लोकसभा भारतीय जनसंघ की झोली में गई, बेनी शंकर शर्मा सांसद बने.
1971 के चुनाव में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के हाथों में आई, कांग्रेस की टिकट से शिव चंद्रिका प्रसाद जीते.
1973 में बांका सीट से मधु लिमये सोशलिस्ट पार्टी से जीते.
1977 में भी मधु लिमये ने जीत हासिल की लेकिन इस बार उन्होंने जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.
1980 में कांग्रेस से चंद्र शेखर सिंह जीते.
1984 के चुनाव भी यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, मनोरमा सिंह सांसद बनी.
1985 के उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट से चंद्रशेखर सिंह जीते.
1986 में मनोरमा सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस के टिकट से जीत हासिल की.
1989 के चुनाव में जनता दल ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका, प्रताप सिंह जीतकर दिल्ली पहुंचे.
1991 के चुनाव मेंजनता दल से प्रताप सिंह जीते.
1996 में भी जनता दल ने ही जीत हासिल की और गिरिधारी यादव यहां से सांसद बने.
1998 के चुनाव में दिग्विजय सिंह समता पार्टी से जीते.
1999 में जदयू से दिग्विजय सिंह ने जीत हासिल की.
2004 के चुनाव में राजद ने बांका से अपनी पहली जीत दर्ज की और गिरिधारी यादव इस बार राजद के टिकट से जीते.
2009 के चुनाव में यहां से दिग्विजय सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता.
2010 के उपचुनाव में पुतुल कुमारी ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली पहुंची.
2014 में यह सीट राजद के पास गई, राजद से जय प्रकाश नारायण यादव जीते.
2019 के चुनाव में जदयू से गिरिधारी यादव ने जीत हासिल की.
अब 2024 में बांका में चुनाव मुख्य तौर पर जदयू और राजद के बीच होगा. इस बार यह सीट किसकी होगी ये तो 4 जून को ही पता चलेगा.
भागलपुर और बांका की जनता की क्या है मांग, सुनिए उनकी जुबानी
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