रांची : साल 2023 अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है. हालांकि वर्ल्ड बैंक ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक बातें कही है और जीडीपी के 6.9 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है, लेकिन कोरोना की मार और यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच वैश्विक मंदी के संकेत भी मिल रहे हैं.
जाहिर है भारत पर भी इसके असर से इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. पिछले कुछ दिनों में देश में महंगाई में मामूली कमी जरूर आई है और नए साल में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.1 पर आने का अनुमान है. यदि सरकार महंगाई को काबू में रखने में कामयाब रहती है तो ये एक बड़ी उपलब्धि होगी.

नए साल में निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा भारत
विश्व बैंक के आकलन के बाद 2023 में दुनिया भर की नजरें भारत पर होंगी. जी-20 की अध्यक्षता के बाद भारत विश्व परिदृश्य में नई भूमिका में दिखेगा. पिछले आठ वर्षों से देश में लगातार एफडीआई निवेश का नया रिकॉर्ड बनता आ रहा है. फिर भी मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों और धीमी पड़ती आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं और आने वाले समय में कुछ नई चुनौती भी आ सकती है. ऐसे में सरकार का जोर निवेशकों को आकर्षित करने और निर्यात बढ़ाने पर रहेगा.

बहरहाल अर्थशास्त्र के कई जानकारों का मानना है कि सरकार की तरफ से पीएलआई योजनाओं में लगातार किए जा रहे विस्तार का फायदा उठाने के लिए विदेशी निवेशक भारत का रूख करेंगे.
खासतौर से विनिर्माण गतिविधियों में निवेश करना चाहेंगे. सरकार भी विदेशी निवेशकों को कारोबार की मंजूरी देने और उनके रास्ते में आने वाली जटिलताओं को कम करने की लगातार कोशिश कर रही है. नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है .
अर्थव्यवस्था: बजट पर रहेगी सबकी निगाहें
नया साल आने के साथ ही लोगों की नजरें आने वाले बजट पर होगी. 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है. ऐसे में लोगों को बजट से जितनी ज्यादा उम्मीदें हैं उतनी ही बड़ी चुनौती सरकार के सामने है. सरकार के सामने वैश्विक मंदी के संकेतों और आम लोगों की आकांक्षाओं के बीच अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाए रखने की चुनौती होगी.
महंगाई को काबू में रखना सरकार की प्राथमिकता होगी. 2024 के चुनाव को देखते हुए बजट के लोकलुभावन होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं.
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