डिजीटल डेस्क : Big Blow – दो साल के निचले स्तर पर आई भारत की GDP। शुक्रवार को घोषित आधिकारिक आंकड़ों में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
देश की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई जो इसका करीब दो साल का निचला स्तर है। एक साल पहले की समान तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत थी।
विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर गिरा, कृषि क्षेत्र में बढ़ा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के नए आंकड़े के मुताबिक, बीती तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर गिरकर 2.2 प्रतिशत रह गई, जबकि एक साल पहले इसमें 14.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 1.7 प्रतिशत बढ़ा था।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में GDP वृद्धि 6 प्रतिशत आंकी गई
दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि छह प्रतिशत आंकी गई है। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही थी।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि का पिछला निम्न स्तर 4.3 प्रतिशत था जो वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में दर्ज किया गया था। हालांकि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा। इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले 7 माह में भारत का राजकोषीय घाटा 46.5 फीसदी हुआ
कुल लब्बोलुवाब यह है कि भारत का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 7 महीनों में पूरे साल के लक्ष्य के 46.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े में यही जानकारी सामने आई है।
लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में घाटा बजट अनुमान का 45 प्रतिशत था।
सरकार ने आम बजट में चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान लगाया है। इस तरह, सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 16,13,312 करोड़ रुपये पर सीमित रखना है। बता दें कि सरकार के व्यय और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।