इतनी बेचैनी क्यों है भाई…..

इतनी बेचैनी क्यों है भाई.....

रांची: आलमगीर आलम की गिरफ्तारी के बाद नेपाल हाउस में गर्मी और बेचैनी बढ़ती जा रही है.नेपाल हाउस के कई कैबिन में एसी तो काम कर रहा है लेकिन माथे का पसीना सूख नहीं रहा है.

इतनी बेचैनी क्यों है भाई.....
इतनी बेचैनी क्यों है भाई…..

रुमाल भी माथे के पसीने को साफ करने के लिए सफल नहीं हो पा रहा है. आने वाले 48 घंटे में डोरंडा स्थित नेपाल हाउस का तापमान राज्य में सबसे अधिक होगा इसकी संभावना ईडी विशेषज्ञ ने जाहिर कर दिया है.

कुछ दिनों पहले नोटों की बारिश नेपाल हाउस के आप्त सचिव और उसके घरेलू नौकर के घर पर हुई थी. ईडी के अधिकारियों ने बड़ी मुश्लिक से अपने आप को उस नोटों की बारिश से बचाते हुए नोटों की बारिश का डाटा कलेक्ट किया था.

इतनी बेचैनी क्यों है भाई.....
इतनी बेचैनी क्यों है भाई…..

इस डाटा का विशलेषण कर ईडी ने इस भयंकर नोटों की बारिश के तीन कारण को खोजते हुए पहले दो को अपने गिरफ्त में लिया और दो दिन पहले तीसरा और बहुत बड़ा कारण भी ईडी की गिरफ्त में आ चुका है.

लगा कि अब नोटों की बारिश नहीं होगी क्योंकि ईडी ने इस पर लगाम लगा लिया है लेकिन बेचैनी एक बार फिर बढ़ चुकी है और ये बेचैनी इस बार रसूकदारों के बीच है जो बड़े बड़े घरों के कमरों और दफ्तरों में रहते हैं.

इनके द्वारा बचाव के रास्ते तलाशे जा रहे हैं. अदृश्य लेकिन अफरा तफरी का माहौल इनके बीच बन चुका है. ईडी नोटों की भयंकर बारिश की संभावना जताते हुए अभी से इसके रोकथाम के प्रयास में लगी हुई है लेकिन इसकी संभावना बनी हुई है कि नोटों की बारिश झारखंड में एक बार फिर होगी.

2022 में भी ईडी एक बार नोटों के भारी बारिश का सामना कर चुकी है. बेचैनी का आलम तभी से है जो लगातार बढ़ता जा रहा है.यह बेचैनी राजनीतिक गलियारों में भी दिख रही है.

कुछ दिनों पहले हुई नोटों की बारिश जहां कांग्रेस का सबकुछ बहाने पे अमादा है वहीं कांग्रेस पूरी ताकत के से अपने आप को बचाने में जुटा है .

जेएमएम भी इस अदृश्य बारिश की चपेट में आ चुका है अब आगे देखना यह है कि दोनों पार्टियां अपने आप को इस अदृश्य बारिश से कैसे बचाती है.

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