पटना : प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में लोकसभा सांसद तनुज पुनिया ने आज संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। सांसद तनुज पूनिया ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हमें कलम की ताकत दी थी, आज जब एक दलित उस ताकत का इस्तेमाल कर के देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी पर बैठा है तो ये हमें जूते से डरा रहे हैं।

RSS-BJP मानसिकता से प्रेरित लोग लगातार मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं – सांसद तनुज पुनिया
सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि आरएसएस-भाजपा मानसिकता से प्रेरित लोग लगातार मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। हम इसकी कठोर निंदा करते हैं। यह जूता भारत की संवैधानिक अस्मिता पर फेंका गया है, बाबा साहेब के आदर्शों पर मारा गया है और देश के दलितों के आत्मसम्मान पर मारा गया है। शर्मनाक है कि सीएम नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान जैसे नेता, जो दलितों के वोट से राजनीति में पहुंचे, आज जब एक दलित और वंचित समाज के सर्वोच्च प्रतिनिधि का अपमान हो रहा है, तब ये सब चुप हैं। उनकी यह चुप्पी राजनीतिक नहीं, नैतिक दिवालियापन की निशानी है।
बिहार में दलितों पर गरीबी का वार, भ्रष्टाचार अपार – कांग्रस सांसद
उन्होंने कहा कि जदयू सरकार द्वारा सात नवंबर 2023 को जारी कास्टवाइज सोशल-इकोनॉमिक रिपोर्ट ने बिहार की सच्चाई उजागर की। इस रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार के 94.42 लाख परिवार यानी हर तीसरा परिवार 200 रुपए प्रतिदिन या उससे भी कम पर गुजर-बसर कर रहा है। कुल 2.76 करोड़ परिवारों में से 64 फीसदी आबादी गरीबी और अभाव की गहरी खाई में धकेल दी गई है। अनुसूचित जातियों में मुसहर (54.5 फीसदी), भुइयां (53.5 फीसदी), और डोम (53.1 फीसदी) जातियां सबसे अधिक गरीब हैं। अनुसूचित जनजातियों में बिरहोर (78 फीसदी), चेरो (59.6 फीसदी), सौरिया पहाड़िया (56.5 फीसदी), और बंजारा (55.6 फीसदी) गरीबी में हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि बिहार के संसाधन दलितों गरीबों तक नहीं पहुंचे, बल्कि भ्रष्टाचार और सत्ता की लूट में गायब हो गए।

दलितों के आरक्षण पर वार, निजीकरण की तलवार – तनुज पुनिया
तनुज पुनिया ने कहा कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री के जरिए दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के संवैधानिक आरक्षण अधिकार पर हमला किया है। पुनिया ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जब पब्लिक सेक्टर बेचे जा रहे हैं, तब यह साफ है कि निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं रहेगा। यह सामाजिक न्याय की रीढ़ पर सीधा प्रहार है। सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज में कुल 10.31 लाख कर्मचारी हैं। जिनमें एससी-1.81 लाख, एसटी-1.02 लाख और ओबीसी-1.97 लाख यानी कुल 4.8 लाख आरक्षित पद निजीकरण के बाद समाप्त हो जाएंगे। दलितों की खेती-किसानी पर वार, आमदनी जार-जार, बिहार में 19 लाख 15 हजार दलित परिवार खेती करते हैं जो लगभग सभी स्मॉल और मार्जिनल किसान हैं।
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तनुज पुनिया का सवाल
क्या दलितों के वोट सिर्फ सत्ता की सीढ़ी हैं? जब दलितों पर हमला होता है, तब आपकी ज़ुबान क्यों सिल जाती है? कांग्रेस पार्टी देश के संविधान, सामाजिक न्याय और समान अवसर के लिए संघर्ष जारी रखेगी। हम संकल्प लेते है राहुल गांधी के स्वप्न को साकार करेंगे और दलितों पिछड़ों अति पिछड़ों आदिवासियों शोषितों को उनका अधिकार देंगे। संवाददाता सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने किया। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, प्रवक्ता डॉ. स्नेहाशीष वर्धन पांडेय, ज्ञान रंजन सहित नदीम अख्तर अंसारी और निखिल कुमार मौजूद रहें।
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स्नेहा राय की रिपोर्ट
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