बिहार विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप की इंट्री के साइड इफेक्ट ! क्या भष्मासुर होंगे साबित ?
पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजद सुप्रीमों लालू यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी लांच कर दी है। जिसका नाम जनशक्ति जनता दल रखा गया है। चुनाव आयोग द्वारा उनकी पार्टी को ब्लैक बोर्ड सिंबल दिया गया है। इसकी खुशी जाहिर करते हुए तेज प्रताप ने लिखा हम सब बिहार के विकास के लिए संकल्पित और पूर्ण रूप से तत्पर हैं। हमारी पार्टी का मकसद बिहार के विकास के लिए एक नई व्यवस्था का निर्माण करना है और इसके लिये हम लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उनकी पार्टी गरीब, युवाओं और किसानों की आवाज बनेगी और उनके हक के लिए लड़ेगी। इससे राजद के भीतर खलबली मच गई है।
लालू – तेजस्वी विरोधियों के लिए मौका साबित हो सकता है
ज्ञात हो कि पार्टी में जब तक विरोध की आवाज उठती रही है लेकिन मजबूत स्तंभ के आभाव में ये अबतक मूर्तरूप नहीं ले पाई है। पार्टी में ऐसे बहुत से नेता कार्यकर्ता हैं जिन्हें लालू के पारिवारिक मोह के चलते उचित सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वो हकदार रहे हैं। ऐसे कई कद्दावर और बुजुर्ग नेता पार्टी में हैं या दूसरी पार्टी में चले गए। जिनके मन की टीस अभी भी बरकरार होगी। ऐसे में चुनाव के ठीक पहले तेज प्रताप यादव का ऐलान न सिर्फ लालू विरोधियों के लिए बल्कि तेजस्वी यादव से खार खाए लोगों के लिए एक नया विकल्प दे दिया है।
जनशक्ति जनता दल का क्या होगा साइड इफेक्ट
सियासी जानकारों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव का इफेक्ट जरूर देखने को मिलेगा। लालू यादव के बड़े बेटे होने के नाते तेज प्रताप यादव राजद के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं। लालू ने तेजस्वी को भले ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर रखा हो, लेकिन लोगों को तेज प्रताप यादव में लालू यादव की छवि ज्यादा दिखाई देती है। तेज प्रताप के हाव-भाव और बोलचाल की शैली बिल्कुल अपने पिता लालू यादव से मिलती जुलती है। लोग इसे बहुत नोटिस करते हैं और चुनावों में इसका भी प्रभाव देखने को मिल सकता है।
लालू यादव के बड़े बेटे होने के नाते वह RJD का कुछ वोट जरूर काटेंगे
वहीं लालू यादव के बड़े बेटे होने के नाते वह राजद का कुछ वोट जरूर काटेंगे। इसके अलावा पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे नेता और कार्यकर्ताओं के लिये यह अच्छा मौका हो सकता है। वह भी तेज प्रताप यादव के साथ जुड़ सकते हैं। राजद से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगी, वह भी तेज प्रताप की पार्टी की ओर रुख कर सकते हैं। इसके अलावा पार्टी जिन विधायकों के टिकट काटेगी, उनका अगला पड़ाव भी जनशक्ति जनता दल हो सकता है।
एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई में किसका पलड़ा होगा भारी
गौरतलब हो कि बिहार विधानसभा चुनाव मे एनडीए बनाम महागठबंघन की काटों भरी लड़ाई में प्रशात किशोर की इंट्री से हर एक सीट पर जबर्दस्त टक्कर देखने को मिलेगी। ऐसे में तेज प्रताप यादव की इंट्री ये यह मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है। चुनाव मे पार्टियों की लड़ाई के बीच पारिवारिक तड़का लगने का क्या नफा-नुकसान होगा ये तो आने वाले चुनाव परिणाम से ही साफ हो पाएगा।
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