भाई दूज पर इस तरह करें भाई का तिलक, जानें त्योहार से जुड़ी मान्यताएं

RANCHI DESK :

हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व का विशेष महत्व है.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.

राखी के त्योहार की ही तरह भाई दूज पर भी बहनें भाइयों को तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.

इस दिन बहनें भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं. वहीं, भाई भी अपना प्रेम दिखाते हुए बहनों को उपहार देते हैं.

इस दिन भाई अपनी बहन के यहां भोजन करते हैं.

ये त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही होता है,

फर्क सिर्फ इतना है कि इस दिन राखी नहीं बांधी जाती, बल्कि बहनें सिर्फ अपने भाइयों का तिलक करती हैं और आरती

उतारती हैं.

इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस साल भाई दूज का त्योहार 6 नवंबर 2021, शनिवार के दिन पड़ रहा है.

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भाई दूज के लिए जानें शुभ मुहूर्त

इस साल द्वितिया तिथि 5 नवंबर रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर, 6 नवंबर शाम 7 बजकर 44 मिनट तक है.

इस आधार पर द्वितीया तिथि 6 नवंबर को मानी जाएगी और भाई दूज पर्व मनाया जाएगा.

ज्योतिषि के अनुसार इस दिन भाईयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दिन में 01:10 से 03:21 बजे तक है.

भाई दूज से जुड़ी ये हैं मान्यताएं

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सुर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान धर्मराज यम और यमुना थे.

लेकिन भगवान सूर्य के तेज को संध्या देवी सहन न कर पाई और यमराज और यमुना को छोड़ कर मायके चली गईं.

वे अपनी जगह प्रतिकृति छाया को भगवान सूर्य के पास छोड़ गईं.

यमराज और यमुना छाया की संतान न होने के कारण मां के प्यार से वंचित रहे,

लेकिन दोनों भाई-बहन में आपस में खूब प्रेम  था.

युमना की शादी के बाद धर्मराज यम बहन के बुलाने पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे.

भाई की आने की खुशी में यमुना जी ने भाई का खूब सत्कार किया.

यमराज को तिलक लगा कर पूजन किया.

तब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.

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