रांची: सुप्रीम कोर्ट ने लातेहार के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक कमला सिंह की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के रिट आदेश पर रोक लगा दी है।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ में हुई। शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकार, एंटी करप्शन ब्यूरो को नोटिस जारी किया है।
कमला सिंह पर लातेहार में जिला शिक्षा अधीक्षक रहते हुए साल 1995 से 2005 के बीच आर्थिक गड़बड़ी की शिकायत साल 2013 में लोकायुक्त के समक्ष की गई थी।
साल 2017 में लोकायुक्त ने इस शिकायत पर आदेश पारित करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो को कमला सिंह की संपत्ति की जांच करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ कमला सिंह की ओर से हाईकोर्ट में रिट दायर की गई थी।
साल 2018 में लोकायुक्त के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। उसके बाद 19 सितंबर 2023 को हाईकोर्ट ने कमला सिंह की रिट याचिका निरस्त कर दी थी।
कमला सिंह ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोट में एसएलपी दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि लोकायुक्त अधिनियम 2001 के सेक्शन आठ के तहत किसी सरकारी सेवक पर आरोप लगने के पांच साल के भीतर जांच का आदेश दिया जा सकता है, लेकिन यह मामला साल 2005 का है और साल 2013 में इसकी शिकायत रवि कुमार डे ने लोकायुक्त से की थी जो कि गलत है।
लोकायुक्त का आदेश कालबाधित नहीं होना चाहिए था। लोकायुक्त अधिनियम 2001 के सेक्शन 10 के तहत लोकायुक्त को आदेश पारित करने के पहले सरकारी सेवक को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसलिए हाईकोर्ट का आदेश निरस्त किया जाए। इस अपील पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।