डिजीटल डेस्क : Important Development – अच्छे आचरण पर बाहुबली पूर्व विधायक करवरिया नैनी जेल से रिहा, डॉन अतीक भी खाता था खौफ, प्रयागराज में बढ़ी सियासी हलचल। दिल्ली की सत्ता का रास्ता जिस यूपी से होकर जाता है, उसी प्रदेश के प्रयागराज में बृहस्पतिवार को एक अहम घटनाक्रम हुआ जिससे सियासत में भी हलचल बढ़ गई है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व बाहुबली विधायक उदयभान करवरिया को बृहस्पतिवार को सुबह करीब 7:30 बजे प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल से अच्छे आचरण के चलते रिहा कर दिया गया। सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित हत्याकांड में सजा काट रहे करवरिया को राज्यपाल ने समय पूर्व रिहा करने का आदेश जारी किया था। राज्यपाल ने यह आदेश जिला प्रशासन की उस संस्तुति पर जारी किया था जिसमें जेल में करवरिया का आचरण अच्छा बताया गया था। उसी के आधार पर राज्यपाल ने सजा में राहत दी है।
यूपी की सियासत में काफी अहम है इस बाहुबली की रिहाई
आजीवन कारावास की सजा काट रहे प्रयागराज के पूर्व बाहुबली भाजपा विधायक की समय से पहले अच्छे आचरण के चलते हुई रिहाई को सियासी चश्मे से भी देखा जा रहा है। वजह यह कि सपा का विश्वस्त डॉन अतीक अहमत इससे अदावत रखते हुए इस बाहुबली के सामने आने से हमेशा कतराता था। करवरिया के पूरे परिवार की भाजपा के नेताओं विशेषकर सीएम योगी आदित्यनाथ से काफी मधुर संबंध भी रहे हैं। प्रदेश सियासी बाहुबलियों में करवरिया परिवार की पहचान सवर्णों के हितैषी के रूप में रही है। प्रयागराज से ही सियासत करने वाले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बीते कुछ समय से लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। हालांकि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपनी सरकार में पुराने रुतबेदार ओहदे पर बनाए रखा था। लेकिन बदले हालातों अब इस रिहाई को अहम इसलिए माना जा रहा है कि प्रयागराज और आसपास में इसका सियासी लाभ भाजपा के पक्ष में होने के कयास लग रहे हैं और सीएम पर मंडराते विरोध के सुर के अब शांत पड़ने की भी उम्मीद बढ़ी है।
भाजपा के इस बाहुबली विधायक के रास्ते में आने परहेज करता था अतीक
बता दें कि जवाहर पंडित हत्याकांड में उदयभान करवरिया समेत उनके भाई कपिल मुनि करवरिया और सूरजभान करवरिया भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। बृहस्पतिवार को सुबह जेल के गेट पर उनके परिजन रिहाई के लिए पहुंच गए थे कागजी कार्रवाई पूरा होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। एक समय में प्रयागराज में माफिया डॉन रहे भुक्कल महाराज उर्फ वशिष्ठ नारायण करवरिया का बेटा और पूर्व विधायक उदयभान करवरिया जेल से रिहा हो गया है। वह एक ऐसे बाहुबली नेता के रूप में पहचान रखते हैं, जिससे गत दिनों मारा गया डॉन अतीक अहमद भी खौफ खाता था। इस बाहुबली के पिता भुक्कल महाराज पूर्वांचल के माफिया डॉन अतीक अहमद का आपराधिक गुरू भी रहे थे। बाद में अतीक अहमद ने भुक्कल महाराज की हत्या कर दी थी और यमुना के घाटों से रेत खनन, रियल एस्टेट, सरकारी ठेकों आदि के अवैध कारोबार पर कब्जा कर लिया था। वहीं से दोनों में अदावत शुरू हुई। भुक्कल महाराज की हत्या के बाद बेटे उदय भान करवरिया ने साल 2002 में बारा सीट से जीत कर अपने पिता का सपना पूरा किया और फिर भाजपा के टिकट पर उदयभान करवारिया ने साल 2007 में दोबारा जीत दर्ज की। यही नहीं, अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उदयभान ने भी अपराध का रास्ता अख्तियार किया और अतीक से दुश्मनी ठान ली। देखते ही देखते यह दुश्मनी इतनी बड़ी हो गई कि अतीक अहमद इस भाजपाई बाहुबली से सहमने लगा और खौफ खाने लगा। यहां तक कि उदयभान करवरिया के रास्ते में आने से भी वह भरसक परहेज करता था क्योंकि डर था कि न जाने कब किसी अत्याधुनिक हथियार से गोलियों की तड़तड़ाहट शुरू हो जाए।
समाजवादी विधायक ने इस रिहाई पर जताई तीव्र आपत्ति, हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की समय पूर्व रिहाई को प्रतापपुर से सपा विधायक विजमा यादव ने अनुचित बताया है। सरकार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिनदहाड़े एके-47 से गोलियां बरसाकर उनके पति विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की हत्या की गई थी। उदयभान उसमें आरोपी हैं। इनका परिवार कई पीढ़ी से अपराध में लिप्त है। ऐसे व्यक्ति का जेल में आचरण कैसे अच्छा हो सकता है? अशोकनगर स्थित अपने निवास पर मीडिया से उन्होंने कहा कि सरकार ने 2018 में भी उदयभान की सजा वापस ली थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई । वह मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। इसके बावजूद सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया है। इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहां से मुझे न्याय की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर हत्या करके आजीवन कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति का आचरण इतना अच्छा हो जाता है तो ऐसे में सारे कैदियों को रिहा कर देना चाहिए।
सपा विधायक पर सिविल लाइंस में एक 47 से तड़तड़ा दी थी गोलियां
प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित की हत्या 13 अगस्त 1996 को सिविल लाइंस इलाके में कर दी गई थी। उस वक्त शाम के करीब साढ़े छह बजे थे। सिविल लाइंस में पैलेस थिएटर के बाहर काफी गहमागहमी थी। ठीक उसी समय सपा के विधायक जवाहर यादव अपनी मारूति कार से आए। यहां वह रूके ही थे कि पीछे से आई एक वैन ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया। विधायक जवाहर यादव अभी कुछ समझ पाते और गाड़ी से निकलकर अपने बचाव के लिए कुछ कर पाते, उससे पहले ही वैन में से निकले एक युवक ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। उस समय इलाहाबाद के लोगों ने पहली बार ऐसा हथियार देखा था, जिससे अंधाधुंध फायरिंग होती है। उस वारदात को अंजाम देने वाला कोई और नहीं, इलाहाबाद के ही बारा से विधायक रहे उदयभान करवरिया थे। वही उदयभान करवरिया, जिसके पिता और रेत माफिया भुक्कल महाराज की कभी इलाहाबाद में तूती बोलती थी। पुलिस का दावा है कि इलाहाबाद के आपराधिक इतिहास में पहली बार यहां एके 47 का इस्तेमाल किया गया था। उस वारदात में तीन लोगों की हत्या हुई थी।
राजनीतिक रसूख से इस बाहुबली ने सालों तक दबाया जवाहर हत्याकांड
राजनीति में आने के बाद उदयभान करवरिया ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल जवाहर हत्याकांड को दबाने के लिए किया। आलम यह था कि कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह और मायावती की यूपी में बनी सरकारों के दौरान इस मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई। हालांकि अखिलेश यादव जब सीएम बने तो जवाहर यादव की पत्नी ने उनसे मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा। उसके बाद पुलिस ने उदयभान करवरिया और उसके भाइयों भाइयों कपिल मुनि करवरिया और पूर्व सांसद सूरजभान करवरिया के खिलाफ घेरा कस दिया। फलस्वरुप इन सभी ने सरेंडर किया और साल 2015 में इन्हें आजीवन कारावास की सजा हो सकी। तब से 8 साल 3 महीने और 22 दिन ये सभी प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद थे।
उदयभान के पिता भुक्कल से पुलिस अफसर भी खाते थे खौफ
उदयभान करवरिया की सजा राज्य सरकार की कृपा से माफ होने की बात अब सुर्खियों में है। इसी क्रम में बाहुबली पूर्व विधायक की क्राइम कुंडली से लेकर सियासी इतिहास पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। उदयभान करवरिया को आपराधिक विरासत अपने पिता से ही मिली है। उनके पिता भुक्कल महाराज का इलाहाबाद में ऐसा खौफ था कि बड़े से बड़ा करोबारी उनका नाम सुनकर ही कांप जाते थे। उनके खौफ का अंदाजा साल 1981 की एक घटना से लगाया जा सकता है। उस समय इलाहाबाद के एसएसपी हरिदास राव से उत्तर प्रदेश में बीपी सिंह सरकार के गृहमंत्री चौधरी नौनिहाल सिंह मिलने पहुंचे। उन्होंने अपने साथ आए युवक की पहचान एसएसपी से भुक्कल महाराज के रूप में कराई तो एसएसपी ने नौनिहाल सिंह के प्रति कृतज्ञता प्रकट की थी। कहा था कि उनकी कृपा से ही वह सबसे बड़े बदमाश की शक्ल देख पाए हैं। वह मुलाकात उस समय मीडिया में सुर्खियों में छाई थी। उस मुलाकात की खबर तत्कालीन सीएम बीपी सिंह को मिली तो उन्होंने एसएसपी को तो निलंबित करते हुए मंत्री चौधरी नौनिहाल सिंह से भी गृह मंत्रालय छीनकर शिक्षा विभाग देखने को कह दिया। उस घटना के बाद माफिया डॉन भुक्कल महाराज उर्फ वशिष्ठ नारायण करवरिया ने राजनीति में भाग्य आजमाया। वह इलाहाबाद (उत्तर) और इलाहाबाद (दक्षिण) से तीन बार निर्दलीय चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गये।